मानदेय से वंचित शिक्षक, अनसुनी सेवा की गुहार: अशासकीय विद्यालयों में पीटीए शिक्षकों का आक्रोश..
उत्तराखंड: उत्तराखंड के अशासकीय माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत पीटीए (पैरेंट्स-टीचर्स एसोसिएशन) शिक्षक मानदेय की परिधि में लाने की मांग को लेकर आंदोलनरत हैं। माध्यमिक शिक्षा निदेशक ने सभी मुख्य शिक्षा अधिकारियों (सीईओ) से तीन दिन के भीतर इन शिक्षकों की रिपोर्ट मांगी थी, लेकिन अधिकांश जिलों से रिपोर्ट प्राप्त नहीं हुई है। वहीं कुछ जिलों ने योग्यता न रखने वाले शिक्षकों के प्रस्ताव निदेशालय को भेज दिए हैं, जिससे प्रक्रिया में और जटिलता आ गई है। पीटीए शिक्षक लंबे समय से मानदेय और सेवा शर्तों के निर्धारण की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि वे वर्षों से विद्यालयों में शिक्षण कार्य कर रहे हैं, लेकिन उन्हें नियमित शिक्षकों के समान सुविधाएं नहीं मिल रही हैं। इस संबंध में सरकार द्वारा कई बार आश्वासन दिए गए, लेकिन अब तक कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया है। शिक्षा निदेशालय ने जिलों से प्राप्त रिपोर्टों के आधार पर आगे की कार्रवाई करने की योजना बनाई थी, लेकिन रिपोर्टों के अभाव में यह प्रक्रिया ठप हो गई है। इसके साथ ही कुछ जिलों द्वारा अयोग्य शिक्षकों के प्रस्ताव भेजे जाने से निदेशालय को चयन प्रक्रिया में कठिनाई हो रही है। पीटीए शिक्षकों ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगों पर शीघ्र कार्रवाई नहीं की गई, तो वे आंदोलन को और तेज करेंगे। उन्होंने सरकार से अपील की है कि वे उनकी सेवाओं को मान्यता दें और उन्हें उचित मानदेय प्रदान करें। इस मुद्दे पर शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा है कि वे जिलों से रिपोर्ट प्राप्त करने के बाद ही कोई निर्णय ले सकेंगे। उन्होंने जिलों से शीघ्र रिपोर्ट भेजने का अनुरोध किया है, ताकि पीटीए शिक्षकों की मांगों पर विचार किया जा सके।
अशासकीय माध्यमिक विद्यालयों में वर्षों से सेवा दे रहे पीटीए शिक्षक आज खुद को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं। इन शिक्षकों का कहना है कि सरकार उनकी सेवाओं को नज़रअंदाज़ कर रही है और लंबे समय से मानदेय की मांग पर कोई सुनवाई नहीं हो रही। इन शिक्षकों ने बिना किसी नियमित वेतन या सुविधा के शैक्षणिक ढांचे को संभाले रखा, लेकिन अब जब मानदेय की बात आई तो उनका अनुभव और योगदान हाशिए पर चला गया। माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. मुकुल कुमार सती ने कट ऑफ डेट 30 जून 2016 के बाद नियुक्त सभी पीटीए शिक्षकों की रिपोर्ट जिलों के मुख्य शिक्षा अधिकारियों (सीईओ) से मांगी थी, परंतु समय सीमा बीत जाने के बावजूद कई जिलों ने अब तक रिपोर्ट नहीं भेजी है। कुछ जिलों ने तो नियमों की अनदेखी करते हुए अयोग्य शिक्षकों के नाम भेज दिए, जिससे पूरी प्रक्रिया पर सवाल खड़े हो गए हैं। इससे योग्य शिक्षकों में असंतोष और प्रशासन में असमंजस की स्थिति बन गई है। शिक्षा निदेशक का कहना हैं कि स्कूलों में स्वीकृत पद के सापेक्ष तैनात पीटीए शिक्षकों का नाम, नियमावली के अनुसार शैक्षिक योग्यता, कब से तैनात हैं व इन्हें अब तक मानदेय की परिधि में न लाने की वजह तय प्रारूप पर दी जाए, लेकिन अधिकतर जिलों ने अब तक रिपोर्ट नहीं भेजी।