एचपीवी वैक्सीन से सर्वाइकल कैंसर के जोखिम को कम करेंः डा. सुमिता प्रभाकर’

देहरादून । सर्वाइकल कैंसर दुनिया भर में महिलाओं में चौथा सबसे आम कैंसर है, जिसमें भारत एक चौथाई मामलों में योगदान देता है। देश में हर साल सर्वाइकल कैंसर के लगभग 1,22,844 मामले सामने आते हैं और वैश्विक कैंसर से होने वाली मौतों का एक तिहाई भारत का होता है। भारत में आंकड़ों से पता चलता है कि हर आठ मिनट में एक महिला की मृत्यु सर्वाइकल कैंसर के कारण होती है। देहरादून के सी एम् आई अस्पताल की महिला रोग विशेषज्ञा एवं कैन प्रोटेक्ट फाउंडेशन की अध्यक्षा डॉ सुमिता प्रभाकर का कहना है कि सर्वाइकल कैंसर कई कैंसर में से एक है जो कि वायरस के कारण होता है। एचपीवी संक्रमण महिलाओ और पुरुषों में कई तरह के कैंसर एवं बीमारियां जैसे मुंह, सिर, गले, और गुर्दे का कैंसर एवं शरीर में होने वाले मस्से या वार्ट्स के लिए ज़िम्मेदार होता है। यौन संचारित ह्यूमन पेपिलोमा वायरस (एचपीवी) बेहद आम है और 90 प्रतिशत मामलों में गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर के लिए जिम्मेदार है।
एचपीवी टीकाकरण 9 से 12 वर्ष की किशोरियों के लिए उपलब्ध है। परंतु  45 वर्ष से कम  उम्र की महिलाए भी इसे लगवा सकती है ।  विश्व के कई देशों ने इस टीके को अपने राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम में भी शामिल किया है। लड़कियों में किशोरावस्था के समय इस टीकाकरण से सर्वाइकल कैंसर का खतरा बहुत  कम हो जाता है, लेकिन जानकारी और जागरूकता के अभाव में कई किशोरिया इससे वंचित रह जाती हैं । कई माता-पिता आश्चर्य करते हैं कि किशोरियों के लिए एचपीवी वैक्सीन की सिफारिश क्यों की जाती है। तो उनको बता दें कि यह टीका एचपीवी का इलाज नहीं है, बल्कि रोकथाम का उपाय है जिससे आप अपने बच्चे को गंभीर बीमारी से बचाने में मदद कर सकते हैं। किशोरावस्था में यह सबसे प्रभावी होता है जो भविष्य में कई तरह के कैंसरों से बचा सकती है। डॉ. सुमिता प्रभाकर कहती है, “सर्वाइकल कैंसर का जल्दी पता लगाया जा सकता है। अगर जल्दी पता चल जाए, तो सर्वाइकल कैंसर सफलतापूर्वक इलाज योग्य कैंसर में से एक है। ज्यादातर सर्वाइकल कैंसर के शुरुवात में कोई लक्षण नहीं होते, इसलिए महिलाओं के लिए नियमित स्क्रीनिंग या जाँच महत्वपूर्ण है। नियमित स्क्रीनिंग से कैंसर और पूर्व कैंसर लक्षणों का जल्द पता लगाने और जीवन बचाने में मदद मिल सकती है। अधिकांश सर्वाइकल कैंसर, कैंसर से पहले के परिवर्तनों से शुरू होते हैं जो धीरे-धीरे कैंसर में बदल जाते हैं। स्क्रीनिंग में इन असामान्य परिवर्तनों का पता लगाया जा सकता है, जिनका इलाज डॉक्टर कर सकते हैं और इन परिवर्तनों को कैंसर में विकसित होने से रोक सकते हैं।“ स्क्रीनिंग में पैप परीक्षण और एक पैल्विक परीक्षा शामिल होती है। कुछ महिलाओं के लिए, जोखिम कारकों और उनकी उम्र के आधार पर एचपीवी परीक्षण भी शामिल किया जा सकता है। 21-65 वर्ष के बीच की सभी महिलाओं को हर 3 साल में नियमित रूप से पैप स्मीयर करवाना चाहिए। यदि किसी महिला की 25 वर्ष के बाद पैप स्मीयर के साथ एचपीवी डीएनए के साथ जांच की जाती है (अकेले पैप परीक्षण को प्राथमिकता दी जाती है), तो स्क्रीनिंग अंतराल को 5 वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है। असामान्य रक्तस्रावः मासिक धर्म के दौरान अत्यधिक रक्तस्राव, मासिक धर्म के बीच में रक्तस्राव या संभोग के बाद रक्तस्राव पर तत्काल ध्यान और डॉक्टरी सलाह की आवश्यकता होती है। पोस्टमेनोपॉज़ल ब्लीडिंगः एक साल तक पीरियड्स बंद होने के बाद ब्लीडिंग। कैंसर से बचने के लिए पूरी तरह से जांच की जरूरत होती है। योनि से दुर्गंधयुक्त स्रावः हालांकि यह अक्सर योनि में संक्रमण के कारण होता है, योनि से दुर्गंध आना सर्वाइकल कैंसर का लक्षण हो सकता है। पीठ के निचले हिस्से में गंभीर खिंचावः यह अक्सर सर्वाइकल कैंसर के उन्नत चरणों में होता है।