जानिए क्या है बोइंग सेंटर ? इसके क्या हैं फायदे? बेटियों को कैसे मिलेगा इसमें लाभ?

जानिए क्या है बोइंग सेंटर ? इसके क्या हैं फायदे? बेटियों को कैसे मिलेगा इसमें लाभ?

 

 

 

देश-विदेश: पीएम नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को बेंगलुरु में Boeing के सेंटर का उद्घाटन कर दिया है। इसे अमेरिका से बाहर बोइंग का सबसे बड़ा सेंटर बताया जा रहा है। कंपनी ने इस इंजीनियरिंग एवं टेक्नोलॉजी सेंटर को एविएशन सेक्टर में आ रहे बदलावों के लिए खुद को तैयार रखने के लिए बनाया है। यहां पर रिसर्च, डेवलपमेंट, इनोवेशन और डिजाइन पर जोर दिया जाएगा। पीएम मोदी का कहना हैं कि यह मेक इन इंडिया, मेक फॉर द वर्ल्ड रणनीति का एक हिस्सा है। इस सेंटर से भारत के टेलेंट पर दुनिया का भरोसा और ज्यादा मजबूत होगा।

वहीं इस खास मौके पर पीएम मोदी ने Boeing सुकन्या कार्यक्रम का भी उद्घाटन किया। इससे एविएशन सेंटर में देश की बेटियों को ज्यादा से ज्यादा जगह मिल सकेगी। इसके तहत बेटियों को साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग एवं मैथ्स जैसी फील्ड में कौशल विकास का प्रशिक्षण मिलेगा। साथ ही एविएशन सेंटर में नौकरियों के लिए भी प्रशिक्षण मिलेगा। इस मौके पर कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने कहा कि यह राज्य के लिए सम्मान की बात है। कर्नाटक ने हमेशा देश के तकनीकी विकास में योगदान दिया है।

पीएम मोदी का कहना हैं कि भारत में फिलहाल 15 फीसदी पायलट महिलाएं हैं। यह वैश्विक औसत का तीन गुना है। बोइंग सुकन्या प्रोग्राम हमारी बेटियों के पायलट बनने के सपने को साकार करने में और ज्यादा मदद करेगा। बोइंग का यह कैंपस एक दिन दुनिया को भारत में बना आधुनिक विमान भी देगा। उन्होनें कहा कि बेंगलुरु शहर नए प्रयोगों और सफलताओं को बढ़ावा देता रहा है। इसी शहर ने दुनिया की तकनीकी डिमांड को पूरा करने में मदद दी है।

क्या है Boeing की खासियत..

बता दें कि Boeing का यह कैंपस 43 एकड़ में फैला हुआ है। यह अमेरिका के बाहर कंपनी की सबसे बड़ा सेंटर है। यह सेंटर देश में नए स्टार्टअप और निजी एवं सरकारी भागीदारी को बेहतर बनाने की दिशा में काम करेगा। यहां से ग्लोबल एयरोस्पेस एवं डिफेंस इंडस्ट्री के लिए अगली पीढ़ी के प्रोडक्ट एवं सर्विसेज विकसित किए जा सकेंगे। रिपोर्ट के अनुसार बोइंग के इस कैंपस में 3000 से ज्यादा इंजीनियर एक साथ काम कर सकेंगे। इसके साथ ही बोइंग भारतीय सेना के साथ मिलकर भी काम करेगी। यह डिफेंस सेक्टर में आत्मनिर्भर भारत योजना के तहत एक अहम पड़ाव है।