इस बार दर्द को बाँटने के लिए अपनो के बीच प्रदेश का मुखिया भी है। बड़ी त्रासदी जब भी राज्य के हिस्से मे आयी तब लोग और हालात अफसरों के भरोसे रहे और दैवीय आपदा के बाद अपनो की बेरुखी अधिक मिली जिससे दुख दोगुना बढ़ गया। सर्द रात मे अपने घर से रैनबसेरे मे रह रहे लोगों के बीच सीएम पुष्कर धामी की मौजूदगी इस दर्द से कुछ राहत देने वाली तो है।
दुख की इस घडी मे आम जन की तरह उस दुख को महसूस करना और उसके निराकरण के लिए तमाम कोशिशें करना यही गुण मुख्यमंत्री धामी को औरों से अलग करता है। धामी इससे पहले भी इसी जीवटता से आगे बढ़े। इसमे नैनीताल झील मे ओवर फ्लो का
संकट हो या मालदेवता के सरखेत मे आयी आपदा। अब जोशीमठ मे जिस तरह से धामी ने राहत कार्य का जिम्मा अपने हाथ मे लिया है यह पीड़ितों के लिए निश्चित रूप से राहत वाली बात है। वहीं अपनो के बीच अपनी सरकार को देखकर उनका हौंसला बढ़ेगा तो विश्वास का वातावरण भी होगा।
यह भी अजीब स्थिति पूर्व मे रही है कि उत्तराखंड में जब कभी भी बड़ी आपदाएं आईं, तो मुख्यमंत्री आपदा केंद्रो से दिशा निर्देश जारी करते रहे और उनके दौरे औपचारिकता भर रहे।
सचिवालय और सीएम आवास से ही अफसरों के भरोसे काम काज चलता रहा। यही कारण है कि हर आपदा के बाद प्रबंधन को लेकर सवाल उठते रहे। सरकार के आला अफसर भी सचिवालय से ही अपने अधीनस्थों को निर्देश देकर अपनी जिम्मेदारी पूरी करते रहे। लेकिन पुष्कर राज में हालात कुछ हटकर है।
जोशीमठ आपदा में सीएम धामी ने खुद आगे बढ़ कर नेतृत्व किया और एक तरह से घटना स्थल पर लंगर डाल दिया है। सचिव मुख्यमंत्री आर मीनाक्षी सुंदरम और कमिश्नर गढ़वाल जोशीमठ मे कैंप कर रहे है।
यह सुखद है कि धामी ने दूसरी बार
जोशीमठ पहुंच कर भी बंद कमरे में अफसरों से मंत्रणा करने की बजाय उन्होंने मौके पर जनता के बीच जाना बेहतर समझा। बुजुर्ग, बूढ़े, युवा, महिलाएं अपनी समस्या को मुखिया के साथ साझा कर रहे हैं। जब मुखिया मे बूढ़ी मा को बेटा नजर आये, युवाओं को भाई और बच्चे खुश हो जाए तो विश्वास की यह डोर यह अहसास कराने के लिए पर्याप्त है कि भविष्य सुरक्षित है।
सीएम धामी के बुधवार को जोशीमठ दौरे को लेकर पीड़ितों के बीच अच्छा संदेश है। शाम को लोगों का हाल जानने के बाद रात में भी सीएम धामी शांत नहीं बैठे। बल्कि सर्द रात में भी 11 बजे के बाद भी लोगों के बीच पहुंचने का सिलसिला जारी रखा। राहत कैंप में पहुंच कर उन्होंने जाना कि लोगों को खाना कैसा मिल रहा है। किसी को ये अहसास न हो कि आपदा के इस समय में उन्हें अपने घर जैसा खाना नहीं मिल रहा।
बुधवार देर रात तक लोगों के बीच रहने के बाद गुरुवार सुबह फिर उसी उत्साह के साथ जोशीमठ में लोगों के बीच मौजूद रहे। सुबह नृसिंह मंदिर पहुंचे और राज्य की सुख समृद्धि खुशहाली को लेकर प्रार्थना की। न सिर्फ लोगों के बीच पहुंच कर बल्कि राहत कार्यों में तेजी लाने को लेकर भी सीएम धामी फ्रंट फुट पर काम कर रहे हैं। राहत पैकेज तैयार करने से लेकर फौरी तौर पर तत्काल राहत देने को लेकर भी मिशन मोड पर युद्धस्तर पर काम चल रहा है। लोगों को तत्काल अंतरिम राहत राशि के रूप में डेढ़ लाख की राशि दी जा रही है। तात्कालिक सुरक्षा सुनिश्चित करने को लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया रहा है। विपरीत हालातों के बावजूद सीएम धामी आम जनता में ये विश्वास जगाने में कामयाब रहे हैं कि उनके रहते हुए राज्य की जनता को परेशान होने की कोई जरूरत नहीं है।
हालांकि उनके सामने अभी चुनौतियाँ कम नही है और उन्हे कई पड़ाव पार करने है। आपदा से परेशान लोग अधिकारियों के चक्कर काटने की आशंका से परेशान रहे है, लेकिन सीएम ऐसी किसी भी आशंका को खारिज करते हुए कह रहे हैं कि मुख्य सेवक और सरकार उनके बीच मे खड़ी है। वह हर समय हर समस्या के समाधान के लिए मौजूद है। ऐसे मे विश्वास का जो वातावरण जोशीमठ मे बना है उससे सीएम पुष्कर सिंह धामी नायक के तौर पर उभर रहे है।