देहरादून । राज्य सरकार ने सामुदायिक रेडियो स्टेशनों की स्थापना के लिए नई प्रोत्साहन नीति जारी कर दी है। इस नीति के अंतर्गत सरकारी एवं गैर सरकारी संस्थाओं को सामुदायिक रेडियो स्टेशनों की स्थापना के लिए अधिकतम 20 लाख तक का अनुदान दिया जायेगा तथा तीन वर्षों तक प्रतिवर्ष चार लाख रूपये का अनुदान रेडियो स्टेशनों के परिचालन के लिए मिलेगा। सूबे के आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास मंत्री डॉ. धन सिंह रावत की एक और पहल रंग लाई है। विभागीय मंत्री के निर्देश पर आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास विभाग ने सूबे में सामुदायिक रेडियो स्टेशनों की स्थापना हेतु प्रोत्साहन नीति जारी कर दी है। जिसका क्रियान्वयन उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अंतर्गत किया जायेगा। विभाग द्वारा जारी नई प्रोत्साहन नीति के अनुसार भारत सरकार द्वारा निर्धारित मानकों के अनुरूप स्थापित सामुदायिक रेडियो स्टेशनों तथा शैक्षणिक संस्थानों के संचालन हेतु लाइसेंस प्राप्त संस्थाओं तथा नये इच्छुक संस्थान इस नीति का लाभ उठा सकते हैं। जिसके लिए राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा आवेदन आमंत्रित करने पर अथवा सीधे प्राधिकरण में वित्तीय वर्ष में कभी भी आवेदन किया जा सकता है। संबंधित संस्थाओं को समस्त अभिलेखों के साथ सचिव राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के कार्यालय में आवेदन पत्र जमा करने होंगे। जिस हेतु गठित समिति द्वारा आवेदन पत्रों की जांच के बाद मानक पूरे करने वाले संस्थाओं का चयन प्रोत्साहन नीति के अंतर्गत किया जायेगा।
इस नीति के तहत नये सामुदायिक रेडियो स्टेशनों की स्थापना के लिए अधिकतम 20 लाख अथवा सामुदायिक स्टेशनों की स्थापना में आने वाली लागत जो भी कम हो की धनराशि की स्वीकृति दी जायेगी। प्रथम किस्त के रूप में स्वीकृत लागत की 50 प्रतिशत धनराशि ही अवमुक्त की जायेगी तथा उसका उपयोगिता प्रामण पत्र उपलब्ध कराये जाने के पश्चात शेष 50 प्रतिशत धनराशि का आवंटन किया जायेगा। राज्य सरकार द्वारा अनुदानित सामुदायिक रेडियो केन्द्रों को सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय भारत सरकार तथा राज्य सरकार द्वारा निर्गत मानकों का अनुपालन करना अनिवार्य होगा। इसके अलावा प्रोत्साहन नीति के तहत रेडियो स्टेशनों के संचालन हेतु तीन वर्षों तक रूपये चार लाख प्रतिवर्ष प्रोत्साहन राशि भी दी जायेगी। प्रदेश के दूरस्थ एवं आपदा की दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्रों में सामुदायिक रेडियो स्टेशनों की स्थापना को वरियता दी जायेगी। इस नीति के तहत अनुदान प्राप्त रेडियो केन्द्रों को जागरूकता कार्यक्रमों में स्थानीय भाषाओं गढ़वाली, कुमाऊं, जौनसारी आदि को प्राथमिकता देनी होगी साथ ही किसी भी प्रकार की आपदा के दौरान आपदा संबंधी सूचनाओं का आदान-प्रदान एवं आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा निर्गत सूचनाओं का प्रचार-प्रसार प्राथमिकता के आधार पर करना होगा। संबंधित जिलाधिकारी द्वारा प्रत्येक वर्ष सामुदायिक रेडियो केन्द्रों का निरीक्षण कर शासन को आख्या प्रेषित करनी होगी। सामुदायिक रेडियो केन्द्रों की स्थापना में राजकीय विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों, इंजीनियरिंग एवं मेडिकल कॉलेजों, निजी महाविद्यालयों, पॉलिटेक्निक आदि संस्थानों को वरियता दी जायेगी। यदि कोई संस्थान रेडियो केन्द्र की स्थापना के पश्चात तीन वर्ष तक निरंतर परिचालन नहीं कर पाता है तो शासन को उन्हें आवंटित अनुदान राशि की वसूली का अधिकार होगा।
आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास मंत्री डॉ0 धन सिंह रावत का कहना है कि प्रदेश में सामुदायकि रेडियो केन्द्रों की स्थापना हेतु नई प्रोत्साहन नीति स्वरोजगार के नए अवसर प्रदान करने के साथ ही विभिन्न आपदाओं में सूचनाओं के आदान-प्रदान एवं विभागीय योजनाओं के प्रचार-प्रसार में मील का पत्थर साबित होगी। राज्य सरकार का लक्ष्य प्रत्येक जनपद में एक-एक सामुदायिक रेडियो केन्द्र की स्थापना करना है, जिसमें राजकीय शैक्षणिक संस्थाओं एवं दूर-दराज के क्षेत्रों को प्राथमिकता दी जायेगी।