प्रदेश में कम हुई बच्चों में कृमि संक्रमण की दर..
इस साल 35 लाख बच्चों को खिलाई गई दवा..
उत्तराखंड: प्रदेश में बच्चों में मिट्टी से संचारित परजीवी कृमि (सॉयल ट्रांसमिटेड हेल्मिंथ) संक्रमण दर में कमी आई है। प्रदेश सरकार की ओर से चलाए गए अभियान के प्रभावी परिणाम सामने आए हैं। स्वास्थ्य विभाग और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के वर्ष 2022 में कराए गए संयुक्त सर्वेक्षण की रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है।
सर्वे में पाया गया कि राज्य के स्कूली बच्चों में कृमि संक्रमण का प्रसार केंद्र सरकार के बेसलाइन प्रसार सर्वेक्षण के सापेक्ष 67.97 प्रतिशत से घटकर 0.17 प्रतिशत रह गया, जो राज्य के लिए बड़ी उपलब्धि है। राज्य में इस साल 35 लाख बच्चों को कृमि नाशक दवा खिलाई गई थी। स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत का कहना हैं कि राज्य में बच्चों को कृमि रोगों के संक्रमण से बचाने के लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से आंगनबाड़ी केंद्रों, स्कूलों, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, घर-घर जाकर बच्चों को कृमि दवा खिलाने का अभियान चलाया गया।
इससे प्रदेश में बच्चों में मिट्टी से संचारित होने वाले परजीवी कृमि के प्रसार में कमी आई है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन उत्तराखंड ने प्रदेश में कृमि संक्रमण के प्रसार का पता लगाने के लिए सितंबर 2022 में आईसीएमआर के राष्ट्रीय महामारी विज्ञान संस्थान के साथ मिलकर सर्वे कराया था, जिसमें कृमि संक्रमण के प्रसार में भारी गिरावट पाई गई।
96 प्रतिशत बच्चों ने हाथ धोने के लिए साबुन का इस्तेमाल किया..
केंद्र सरकार की ओर से वर्ष 2016 में कराए गए बेसलाइन प्रसार सर्वेक्षण के अनुसार राज्य के स्कूली बच्चों में कृमि संक्रमण के प्रसार की दर 67.97 प्रतिशत थी, जो घटकर अब 0.17 प्रतिशत रह गई है। प्रदेश के 91.5 फीसदी घरों का सर्वे किया। इसमें 93.8 फीसदी परिवारों ने बताया कि उनके बच्चे शौच के लिए शौचालय का प्रयोग करते हैं।
सर्वे में 96.1 प्रतिशत बच्चों ने शौच के बाद हाथ धोने की बात कही। इसमें 96 प्रतिशत बच्चों ने हाथ धोने के लिए साबुन का इस्तेमाल किया। इस साल राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस अभियान के तहत एक से 19 आयु वर्ग के 35 लाख बच्चों को कृमि नाशक दवा खिलाई गई। प्रदेश में अब दवा खिलाने के लक्ष्य को बढ़ाकर 38 लाख कर दिया गया है।