चारधाम यात्रा- वन विभाग का एक्शन प्लान तैयार, क्यूआरटी और मोबाइल क्रू टीमें 24 घंटे रहेंगी तैनात..

चारधाम यात्रा- वन विभाग का एक्शन प्लान तैयार, क्यूआरटी और मोबाइल क्रू टीमें 24 घंटे रहेंगी तैनात..

 

 

उत्तराखंड: उत्तराखंड में चारधाम यात्रा को लेकर जहां विभिन्न विभाग तैयारियों में जुटे हैं, वहीं वन विभाग ने भी यात्रा के दौरान जंगलों और श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अपना एक्शन प्लान तैयार कर लिया है। वन विभाग ने तय किया है कि यात्रा मार्गों पर विशेष निगरानी की जाएगी ताकि किसी भी तरह की आगजनी या अन्य आपात स्थिति से समय रहते निपटा जा सके। साथ ही विभाग ने जन जागरूकता अभियान भी शुरू करने की योजना बनाई है ताकि श्रद्धालु यात्रा रूट पर वनों की सुरक्षा के प्रति सतर्क रहें और पर्यावरण संरक्षण में योगदान दें। यात्रा मार्गों पर अतिरिक्त गश्त दल, कंट्रोल रूम और रैपिड रिस्पांस टीमें भी तैनात की जाएंगी। विभाग का जोर इस बार सुरक्षित और हरित यात्रा सुनिश्चित करने पर है, जिससे यात्रा का अनुभव श्रद्धालुओं के लिए सुरक्षित और आनंददायक हो।

उत्तराखंड में इस वर्ष की चारधाम यात्रा के दौरान वन विभाग पूरी तरह से अलर्ट मोड में रहेगा। विभाग ने यात्रा मार्गों पर अलग से वन कर्मियों की तैनाती का फैसला लिया है, ताकि जंगलों को आग और अन्य खतरों से बचाया जा सके और साथ ही श्रद्धालुओं की यात्रा भी सुरक्षित सुनिश्चित की जा सके। वन विभाग वर्तमान में जंगलों में आग की बढ़ती घटनाओं को लेकर गहरी चिंता में है। ऐसे में यात्रा मार्गों पर अतिरिक्त सतर्कता बरतने का निर्णय लिया गया है। यात्रा सीजन के दौरान विशेष निगरानी दल, कंट्रोल रूम और रैपिड रिस्पांस टीमें भी सक्रिय रहेंगी।वन विभाग का मुख्य उद्देश्य इस बार यात्रा मार्गों पर न केवल वन संरक्षण सुनिश्चित करना है, बल्कि श्रद्धालुओं की सुरक्षा को भी प्राथमिकता देना है। विभाग जन जागरूकता अभियानों के जरिए भी यात्रियों को वनों को सुरक्षित रखने और आगजनी जैसी घटनाओं से बचाव के प्रति जागरूक करेगा।

QRT टीम गठन करने के निर्देश..

वन विभाग ने यह भी निर्णय लिया है कि यात्रा मार्ग पर हर 20 किलोमीटर की दूरी पर एक क्विक रिस्पांस टीम (QRT) गठित की जाएगी, जो किसी भी आपात स्थिति में तत्काल कार्रवाई कर सकेगी। इसके साथ ही यात्रा मार्ग पर मोबाइल क्रू टीमों को 24 घंटे संचालित करने का निर्देश दिया गया है, ताकि जंगलों में आगजनी जैसी घटनाओं को समय रहते रोका जा सके। सुरक्षा उपायों को और सुदृढ़ करने के लिए नियमित कार्मिकों के साथ-साथ अतिरिक्त चार फायर वॉचर भी तैनात किए गए हैं। इससे जंगलों और श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के प्रयासों को और मजबूती मिलेगी। वन विभाग की यह पहल यात्रा को न केवल सुरक्षित बनाने में मदद करेगी, बल्कि यात्रा मार्गों के वन क्षेत्र भी आग और अन्य आपदाओं से सुरक्षित रहेंगे।

आडा जलाने पर पाबंदी..
चारधाम यात्रा के दौरान वन विभाग न केवल अपने कर्मचारियों के जरिए सुरक्षा सुनिश्चित करेगा, बल्कि यात्रा मार्ग पर स्थित होटल, ढाबे, दुकानों के मालिकों और स्थानीय लोगों के साथ समन्वय स्थापित कर उन्हें वनाग्नि की रोकथाम के लिए जागरूक भी करेगा। यात्रा मार्ग पर जन-जागरूकता बढ़ाने के तहत वन विभाग ने स्पष्ट कर दिया है कि इस दौरान कृषि भूमि पर आड़ा (खरपतवार, सूखे पत्ते, झाड़ियां) जलाने की अनुमति नहीं होगी, ताकि आग की किसी भी घटना को रोका जा सके। इसके साथ ही किसी भी आपात स्थिति में त्वरित सूचना देने के लिए विभाग ने हेल्पलाइन नंबर 1926 का व्यापक स्तर पर प्रचार-प्रसार शुरू कर दिया है। श्रद्धालु और स्थानीय लोग इस हेल्पलाइन के माध्यम से किसी भी जंगल में आग लगने या अन्य आपात स्थितियों की जानकारी तुरंत दे सकेंगे।

जंगलों की तरफ चले जाते हैं श्रद्धालु..

प्रदेश में तापमान बढ़ने के साथ ही वनाग्नि की घटनाओं में भी इजाफा हो रहा है। एक तरफ राज्यभर में जंगलों की आग के लिए फायर सीजन से पहले ही तैयारी पूरी करने का दावा किया गया था तो अब चारधाम यात्रा शुरू होने से पहले यात्रा मार्गों पर अलग से व्यवस्थाएं की जा रही हैं। इसे इसलिए भी जरूरी माना जा रहा है क्योंकि कई बार श्रद्धालु यात्रा के दौरान जंगलों में भी चले जाते हैं और इस दौरान वनाग्नि का खतरा बढ़ जाता है।