फर्जी डिग्री पर नौकरी कर रहे थे तीन शिक्षक, हुई 5 साल की कैद..
उत्तराखंड: बीएड की फर्जी डिग्री से शिक्षक की नौकरी प्राप्त करने वाले तीन लोगों को अदालत ने पांच-पांच वर्ष की जेल और 10-10 हजार रुपये जुर्माना की सजा सुनाई है। तीनों को पुलिस अभिरक्षा में पुरसाड़ी जेल भेज दिया गया है। अदालत ने शिक्षा सचिव और गृह सचिव, उत्तराखंड सरकार को भी आदेश की प्रति भेजी है। अदालत का कहना है कि तत्कालीन विभागीय अधिकारियों ने बीएड की डिग्री का सत्यापन किए बिना दोषियों को नौकरी दी है। वर्ष 2005 से 2009 के बीच चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय से बीएड की डिग्री प्राप्त कर महेंद्र सिंह, मोहन लाल और जगदीश लाल को अलग-अलग वर्षों में शिक्षा विभाग में प्राथमिक सहायक शिक्षक की नौकरी मिली। शिक्षा विभाग ने एसआईटी से जांच कराई, जिसमें उक्त तीन शिक्षकों की बीएड की डिग्री फर्जी पाई गई।
SIT की जांच में फर्जी डिग्री का खुलासा हुआ..
तीनों फर्जी शिक्षकों ने चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के नाम पर वर्ष 2005 से 2009 के बीच बीएड की फर्जी डिग्री प्राप्त की, उसके बाद महेंद्र सिंह, मोहन लाल और जगदीश लाल ने शिक्षा विभाग में प्राथमिक सहायक शिक्षक के रूप में नौकरी शुरू की थी। शिक्षा विभाग ने एसआईटी से शिक्षकों की डिग्रियों की जाँच करवाई। जाँच में इस बात का खुलासा हुआ कि इन तीनों शिक्षकों की बीएड डिग्री फर्जी थी। रुद्रप्रयाग अदालत ने इस मामले में तीनों फर्जी शिक्षकों को सजा सुनाई, अदालत ने मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि तत्कालीन विभागीय अधिकारियों ने डिग्री का सत्यापन किए बिना इन दोषियों को नौकरी दे दी। जिस कारण सम्बंधित विभागीय अधिकारी भी इस मामले के लिए जिम्मेदार हैं।