कॉर्बेट में लौटेगा जंगल सफारी का रोमांच, सात साल बाद शुरू होगी एलिफेंट सफारी..
उत्तराखंड: उत्तराखंड के प्रकृति प्रेमियों और वन्यजीव पर्यटकों के लिए खुशखबरी है। विश्व प्रसिद्ध जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क में इस पर्यटन सीजन से हाथी सफारी दोबारा शुरू होने की संभावना है। करीब सात साल के लंबे इंतजार के बाद यह फैसला आने वाला सीजन सैलानियों के लिए और भी खास बना देगा।कॉर्बेट प्रशासन के अनुसार इस बार पर्यटक न केवल हाथियों की पीठ पर बैठकर जंगल की सैर का रोमांच उठा सकेंगे, बल्कि वॉच टावर से भी वन्यजीवों और प्राकृतिक सुंदरता का नज़दीक से दीदार कर पाएंगे। इससे पार्क की जैव विविधता, प्राकृतिक सौंदर्य और संरक्षण प्रयासों को देखने का एक नया अनुभव सैलानियों को मिलेगा। हर साल की तरह इस बार भी देश-विदेश से हजारों पर्यटक कॉर्बेट पार्क की सैर पर पहुंचने की तैयारी में हैं। सबसे लोकप्रिय ढिकाला पर्यटन जोन को 15 नवंबर से पर्यटकों के लिए खोलने की तैयारी पूरी कर ली गई है।
इस जोन में पर्यटकों को बाघ, हाथी, हिरण, सांभर, घुरड़ समेत कई दुर्लभ प्रजातियों को उनके प्राकृतिक आवास में देखने का अवसर मिलता है। वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि हाथी सफारी की पुनः शुरुआत न केवल सैलानियों के लिए आकर्षण का केंद्र बनेगी, बल्कि स्थानीय लोगों को रोजगार और आजीविका के नए अवसर भी प्रदान करेगी। इससे पार्क के आस-पास के ग्रामीण इलाकों में पर्यटन गतिविधियों को भी बढ़ावा मिलेगा। कॉर्बेट नेशनल पार्क, जो 1936 में भारत का पहला राष्ट्रीय उद्यान बना था, आज भी वन्यजीव प्रेमियों और फोटोग्राफरों के लिए साहसिक पर्यटन का प्रमुख केंद्र बना हुआ है। अब सात साल बाद एक बार फिर हाथियों की सवारी से जंगल की सैर का रोमांच लौटने जा रहा है।
सात साल के लंबे इंतजार के बाद इस सीजन में हाथी सफारी और वॉच टावर से जंगल दर्शन की सुविधा फिर से शुरू होने जा रही है। कॉर्बेट रिजर्व प्रशासन ने पुष्टि की है कि इस बार का सीजन पर्यटकों के लिए पहले से कहीं ज्यादा रोमांचक और यादगार होगा। कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के निदेशक डॉ. साकेत बडोला ने कहा कि 15 नवंबर से रिजर्व का सबसे प्रसिद्ध ढिकाला जोन पर्यटकों के लिए खोला जाएगा। इसी दिन से विभिन्न पर्यटन जोनों में बने कक्षों में नाइट स्टे (रात में रुकने की सुविधा) भी शुरू हो जाएगी। उन्होंने कहा कि विभाग की कोशिश रहेगी कि इस सीजन में पर्यटक हाथी सफारी का रोमांच महसूस कर सकें, साथ ही वॉच टावर से जंगल, वन्यजीवों और ग्रासलैंड्स का शानदार नजारा देख सकें। इससे सैलानियों को कॉर्बेट की अद्भुत प्राकृतिक सुंदरता को करीब से अनुभव करने का मौका मिलेगा। बता दे कि साल 2018 में उत्तराखंड हाईकोर्ट ने पशु क्रूरता निवारण अधिनियम 1960 और वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 का हवाला देते हुए पार्क में हाथियों के व्यावसायिक उपयोग पर रोक लगा दी थी। उसी आदेश के बाद से हाथी सफारी पूरी तरह बंद हो गई थी।
तब से लगातार पर्यटन व्यवसायी, स्थानीय गाइड और वन्यजीव प्रेमी इस फैसले की समीक्षा की मांग कर रहे थे ताकि हाथियों के साथ संवेदनशील तरीके से यह सफारी दोबारा शुरू की जा सके। स्थानीय निवासी गणेश रावत ने कहा कि यह पहल बेहद सराहनीय है। हाथी सफारी और वॉच टावर से दीदार की सुविधा शुरू होने से पर्यटन गतिविधियों को नई ऊर्जा मिलेगी और स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। उन्होंने कहा कि कॉर्बेट का यह कदम न केवल सैलानियों को आकर्षित करेगा बल्कि राज्य की अर्थव्यवस्था को भी मजबूती देगा। ढिकाला जोन, जो कॉर्बेट रिजर्व का सबसे लोकप्रिय क्षेत्र माना जाता है, में हर साल देश-विदेश से हजारों पर्यटक पहुंचते हैं। यहां पर्यटकों को बाघ, हाथी, हिरण, सांभर, घुरड़ और विभिन्न पक्षियों की दुर्लभ प्रजातियों को उनके प्राकृतिक आवास में देखने का मौका मिलता है।
अब जबकि हाथी सफारी और वॉच टावर की सुविधा दोबारा शुरू होने जा रही है, तो इस बार का पर्यटन सीजन रोमांच, प्राकृतिक सौंदर्य और संरक्षण के संदेश के साथ यादगार बनने वाला है। वहीं वन्यजीव प्रेमियों ने भी इसे कॉर्बेट प्रेमियों के लिए बड़ी राहत बताया। उनका कहना है कि हाथी सफारी एक अनोखा अनुभव है, जिसमें बिना किसी मशीन की आवाज़ के आप जंगल के बीच से गुजरते हैं और प्रकृति की असली धड़कन महसूस करते हैं। वॉच टावर से जानवरों को बिना डिस्टर्ब किए देखना भी एक शानदार अनुभव होता है। ढिकाला और बिजरानी जोन में पर्यटकों को इस बार हाथी सफारी और वॉच टावर से दीदार का मौका मिलेगा। पार्क प्रशासन का मानना है कि इससे पार्क में आने वाले पर्यटकों की संख्या बढ़ेगी और स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी। कॉर्बेट पार्क में हर साल लाखों पर्यटक पहुंचते हैं, अब सफारी के दोबारा शुरू होने से न सिर्फ पर्यटकों के रोमांच में इजाफा होगा, बल्कि स्थानीय लोगों के लिए भी यह एक नई उम्मीद लेकर आया है।
