देहरादून। उत्तराखंड की ये देवभूमि प्राचीन काल से ही ऋषियों की तपोस्थली रही है। साथ ही योगनगरी के रूप में ये विश्व के लोगों को आकर्षित करती रही है। हिमालय की ये तपोभूमि, जो तप और त्याग का मार्ग दिखाती है, उसके लिए पृथक्क राज्य के रूप में उत्तराखंड के निर्माण का सपना अटल बिहारी वाजपेयी जी ने पूरा किया था। अटल जी मानते थे कनेक्टिविटी का सीधा कनेक्शन विकास से है। उन्हीं की प्रेरणा से आज देशमें कनेक्टिविटी के इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए अभूतपूर्व स्पीड और स्केल पर काम हो रहा है। उत्तराखंड की सरकार भी इस दिशा में गंभीरता से काम कर रही है। बाबा केदार के आशीर्वाद से केदारधाम की भव्यता को और बढ़ाया जा रहा है, श्रद्धालुओं के लिए नई सुविधाएं विकसित की जा रही हैं। चारधाम को जोड़ने वाली ऑल वैदर रोड़ पर तेज़ी से काम चल रहा है। चारधाम परियोजना, देश और दुनिया से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए बहुत बड़ी सुविधा तो बना ही रही है, साथ ही गढ़वाल और कुमाऊं के चुनौतीपूर्ण क्षेत्रों को भी आपस में जोड़ रही है। कुमाऊं में चारधाम रोड के लगभग डेढ़ सौ किलोमीटर हिस्से से इस क्षेत्र के विकास को नया आयाम मिलने वाला है।
ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन से भी उत्तराखंड की रेल कनेक्टिविटी को और विस्तार मिलेगा। सड़क और रेल के अलावा एयर कनेक्टिविटी को लेकर हुए कार्यों का लाभ भी उत्तराखंड को मिला है। देहरादून हवाई अड्डे की क्षमता को 250 पैसेंजर से बढ़ाकर 1200 तक पहुंचाया गया है। प्रधानमंत्री के दिशानिर्देशों के मुताबिक उत्तराखंड में हैलीपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर को भी प्रोत्साहित किया जा रहा है। साल 2013 में आई भीषण आपदा के बाद सबसे बड़ी चुनौती केदारपुरी के पुनर्निर्माण की थी। इसकी वजह यह थी कि त्रासदी में केदारनाथ के 23 हेक्टेयर क्षेत्र में से करीब 12-13 हेक्टेयर बाढ़ में बह गया था। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन और केंद्र सरकार के मार्गदर्शन में केदारपुरी का मास्टर प्लान इस तरह से तैयार किया गया है जिससे यह लंबे समय तक टिका रहे। पुनर्निर्माण की योजना से लेकर उसके कार्यनान्वयन की तैयारी इस प्रकार से की गई कि नये इन्फ्रास्ट्रक्चर में कम से कम सौ साल कोई परेशानी न आए। माननीय प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन और निर्देशन में श्री केदारनाथ धाम में पांच महत्वपूर्ण योजनाओं पर कार्य आरंभ हुए।
225 करोड़ रुपये की लागत से प्रथम चरण के निर्माण कार्य पूरे किए जा चुके हैं। पहले चरण में श्री आदि शंकराचार्य समाधि का निर्माण, सरस्वती नदी एवं उसके घाटों की सुरक्षा, तीर्थ पुरोहितों के आवास निर्माण पर 70 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं तथा मंदाकिनी नदी एवं उसके घाटों की सुरक्षा और मंदाकिनी नदी पर 60 मीटर लंबे सेतु के निर्माण पर 155 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं। इसके अतिरिक्त आस्था पथ का काम किया गया है ताकि वहां रहने वालों और श्रद्धालुओं को किसी प्रकार का कष्ट न हो। इसके अतिरिक्त श्री केदारनाथ धाम में भारत सरकार के संस्कृति विभाग के नेतृत्व में प्राचीन मूर्तियों का ओपन म्यूजियम बनाया जा रहा है। केदारपुरी के पुनर्निर्माण प्रोजेक्ट के दूसरे चरण में 184 करोड़ रुपये की लागत वाले निर्माण कार्य चल रहे हैं। ये काम अब अपने अंतिम चरण में है। इसे विश्व स्तरीय धार्मिक स्थल बनाया जा रहा है। इस पूरे प्रोजेक्ट के निर्माण कार्य केदारनाथ की धारक क्षमता को ध्यान में रखकर किया गया है। विशेष ध्यान इस बात पर दिया गया है कि पुनर्निर्माण से जुड़ा हुआ जो भी काम हो वो पुरानी शैली में ही हो। श्री केदानाथ धाम में निम्न विकास कार्य किये जा रहे हैं। पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने बताया कि केन्द्र सरकार और राज्य सरकार का एजेंडा उत्तराखंड का समग्र विकास है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की नीति सबका साथ-सबका विकास-सबका विश्वास को लेकर उत्तराखंड का समग्र विकास करने के लिए लगातार काम किया जा रहा है। इसका प्रदेश के हर एक व्यक्ति को सीधा लाभ मिलेगा।