शिक्षक आज से संभालेंगे प्रभारी प्रधानाचार्य और प्रधानाध्यापक का प्रभार, आंदोलन के चलते था छोड़ा..
उत्तराखंड: उत्तराखंड में शिक्षा विभाग से जुड़े लंबे समय से आंदोलनरत राजकीय शिक्षक संघ के शिक्षक अब आंदोलन स्थगित कर चुके हैं। सोमवार से शिक्षकों ने प्रभारी प्रधानाचार्य और प्रधानाध्यापक का प्रभार फिर से संभाल लिया है। इससे पहले अपनी लंबित मांगों को लेकर उन्होंने प्रभार छोड़ दिया था, जिससे कई विद्यालयों के संचालन पर असर पड़ रहा था। शिक्षक लंबे समय से पदोन्नति और तबादलों में देरी को लेकर नाराज थे। शिक्षकों का कहना है कि प्रधानाचार्य का पद पदोन्नति का पद है, लेकिन विभाग की ओर से इन पदों को पदोन्नति के बजाय विभागीय सीमित परीक्षा से भरने की तैयारी की जा रही है।इसी क्रम में उत्तराखंड लोक सेवा आयोग (UKPSC) की ओर से शिक्षकों से आवेदन मांगे गए हैं।
इतना ही नहीं आयोग ने परीक्षा की तिथि भी घोषित कर दी है। इस कदम से शिक्षकों में असंतोष है, क्योंकि उनका मानना है कि यह उनके वरिष्ठता और पदोन्नति के अधिकारों का हनन है। पिछले एक महीने से अधिक समय से चल रहे आंदोलन के कारण स्कूलों में व्यवस्थाएं प्रभावित थीं। अब शिक्षकों के प्रभार संभालने से विद्यालयों की कार्यप्रणाली फिर से सामान्य हो सकेगी और विद्यार्थियों को भी राहत मिलेगी। हालांकि शिक्षक संघ ने आंदोलन को अभी स्थगित किया है, लेकिन उनकी मांगें पूरी न होने की स्थिति में आगे की रणनीति पर विचार किया जाएगा। शिक्षकों का कहना है कि वे अपने अधिकारों की रक्षा के लिए संघर्ष जारी रखेंगे।
राजकीय शिक्षक संघ के प्रांतीय महामंत्री रमेश पैन्युली ने कहा कि जिन शिक्षकों से विभाग प्रभारी प्रधानाचार्य या प्रधानाध्यापक के रूप में काम ले रहा है, उन्हें भी समान काम के लिए समान वेतन दिया जाना चाहिए। उनका कहना है कि यह शिक्षकों का अधिकार है और विभाग को इस दिशा में ठोस कदम उठाने चाहिए। पैन्युली ने स्पष्ट किया कि यदि शिक्षकों की लंबित मांगों पर जल्द अमल नहीं हुआ तो शिक्षक पुनः आंदोलन की राह पकड़ सकते हैं। हालांकि इस बार आंदोलन की रणनीति अलग होगी। उन्होंने कहा कि शिक्षक छुट्टी वाले दिन आंदोलन करेंगे, ताकि छात्र-छात्राओं की पढ़ाई पर कोई असर न पड़े। शिक्षकों के आंदोलन के कारण पिछले एक महीने से कई विद्यालयों की व्यवस्थाएं प्रभावित थीं। अब शिक्षकों द्वारा प्रभार संभालने और सामान्य कार्यों पर लौटने से विद्यालयों की गतिविधियां पटरी पर लौट आई हैं। शिक्षक संघ का कहना है कि वे सरकार से संवाद के पक्षधर हैं और समाधान निकालने की दिशा में प्रयासरत रहेंगे। लेकिन यदि उनकी मांगों को नजरअंदाज किया गया, तो आंदोलन का रुख और सख्त हो सकता है।