आलंबन गांव में आत्मनिर्भरता की ओर कदम, किशोरियों और महिलाओं को मिलेगा रोजगार प्रशिक्षण..
उत्तराखंड: प्रदेश में अनाथ बच्चों और निराश्रित महिलाओं के लिए एक बड़ी और मानवीय पहल की शुरुआत होने जा रही है। अब इन्हें अलग-अलग आश्रय केंद्रों में नहीं रहना पड़ेगा, बल्कि एक ही छत के नीचे पारिवारिक माहौल में रहने की व्यवस्था की जाएगी। इस उद्देश्य से देहरादून के विकासनगर क्षेत्र में ‘आलंबन गांव’ बसाने का प्रस्ताव तैयार किया गया है। इस प्रस्ताव को महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग के सचिव चंद्रेश यादव ने बीते मंगलवार को सचिव समिति की बैठक में प्रस्तुत किया। बैठक में मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन ने इस योजना को सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है। बता से कि ‘आलंबन गांव’ एक ऐसा एकीकृत जीवन केंद्र होगा, जहां अनाथ बच्चे और निराश्रित महिलाएं सामाजिक परिवार के रूप में साथ रहेंगे। यहां बच्चों की शिक्षा, पोषण, देखभाल और महिलाओं के लिए रोजगार, सुरक्षा और पुनर्वास की व्यवस्था होगी। इससे न केवल उन्हें एक सुरक्षित जीवन मिलेगा, बल्कि सामाजिक अलगाव की भावना भी खत्म होगी और उन्हें सम्मानजनक जीवन जीने का अवसर मिलेगा। यदि यह मॉडल सफल रहा, तो इसे अन्य जिलों में भी लागू किया जा सकता है। यह पहल राज्य में सामाजिक पुनर्वास की दिशा में एक अभिनव प्रयोग माना जा रहा है।
उत्तराखंड सरकार ने अनाथ बच्चों और निराश्रित महिलाओं को एक सामान्य आश्रय नहीं, बल्कि परिवार जैसी अनुभूति देने के उद्देश्य से एक अनूठी पहल शुरू की है। इस दिशा में देहरादून के विकासनगर में ‘आलंबन गांव’ बसाने की योजना को मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन ने हरी झंडी दे दी है। यह विशेष गांव करीब छह एकड़ क्षेत्रफल में विकसित किया जाएगा। योजना के तहत यहां कुल 20 घर बनाए जाएंगे, जिसमें प्रत्येक घर में 16 सदस्य रहेंगे। यह सदस्य संख्या भी एक विशेष संतुलन के साथ तय की गई हैं। इन घरों में रहने वाले सभी सदस्य एक परिवार की तरह साथ रहेंगे, जिससे अनाथ बच्चों और निराश्रित महिलाओं को सामाजिक सुरक्षा और भावनात्मक जुड़ाव मिल सकेगा। इस गांव की कुल आवासीय क्षमता लगभग 320 लोगों की होगी। शुरुआत में पहले चरण में पांच घर बनाए जाएंगे, जिसके बाद योजना का विस्तार किया जाएगा।
आलंबन गांव’ अब केवल आश्रय का स्थान नहीं, बल्कि आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ता एक सामाजिक प्रयोग बनता जा रहा है। इस गांव में रहने वाली किशोरियों और निराश्रित महिलाओं को आर्थिक रूप से सक्षम बनाने के लिए विविध व्यावसायिक गतिविधियों की शुरुआत की जाएगी। महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग द्वारा संचालित इस योजना के अंतर्गत महिलाओं और किशोरियों को निम्नलिखित गतिविधियों में प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके साथ ही खेती, बागवानी, डेयरी, मुर्गीपालन और मछली पालन जैसी गतिविधियों का प्रशिक्षण भी दिया जाएगा, ताकि वे स्थायी रूप से अपनी आजीविका कमा सकें। आलंबन गांव में निर्मित उत्पादों को बाजार से जोड़ने के लिए विशेष आउटलेट सेंटर भी स्थापित किए जाएंगे। इन केंद्रों के माध्यम से महिलाएं अपने हस्तनिर्मित उत्पादों और सामग्री को स्थानीय स्तर पर ही बेच सकेंगी। यह कदम आर्थिक सशक्तिकरण और विपणन कौशल को बढ़ावा देगा। इस योजना का उद्देश्य महिलाओं और किशोरियों को सिर्फ आश्रय देना नहीं, बल्कि उन्हें स्वाभिमानी, आत्मनिर्भर और सशक्त नागरिक के रूप में स्थापित करना है। यदि यह मॉडल सफल होता है, तो इसे राज्य के अन्य हिस्सों में भी लागू किया जाएगा।
अधिकारी और कर्मी भी साथ रहेंगे..
आलंबन गांव के संचालन के लिए अधिकारी और कर्मियों के भी रहने की व्यवस्था होगी, ताकि 24 घंटे देखभाल सुनिश्चित हो सके। गांव में एक सोसाइटी बनेगी जो निर्माण से लेकर संचालन तक सारा काम देखेगी। गांव में बिजली के लिए सोलर पैनल लगेंगे। आने-जाने के लिए ई-वाहन की सुविधा मिलेगी।आश्रय केंद्रों में निराश्रित बच्चों और महिलाओं का सर्वांगीण विकास नहीं हो पाता। इसी कमी को दूर करने के लिए आलंबन गांव की योजना तैयार की गई है। इस गांव में अनाथ, निराश्रित व परित्यक्त बच्चों के साथ-साथ दिव्यांग और संकटग्रस्त महिलाओं को भी रखा जाएगा।