उत्तराखंड में जल स्रोतों का होगा पुनर्जीवन, सरकार चला रही हैं जल संरक्षण की व्यापक मुहिम..

उत्तराखंड में जल स्रोतों का होगा पुनर्जीवन, सरकार चला रही हैं जल संरक्षण की व्यापक मुहिम..

 

 

उत्तराखंड: अब दशकों पुराने पारंपरिक कुओं का संरक्षण और जीर्णोद्धार किया जाएगा। सीएम पुष्कर सिंह धामी ने इस ऐतिहासिक और जल संरक्षण की दृष्टि से अहम पहल की शुरुआत करते हुए राज्यभर में पुराने कुओं का व्यापक सत्यापन अभियान चलाने और उन्हें पुनर्जीवित करने के निर्देश दिए हैं। सीएम ने संबंधित विभागों को निर्देशित किया है कि कुओं की भौगोलिक स्थिति, उपयोगिता, ऐतिहासिक महत्व और वर्तमान स्थिति का विस्तृत सर्वेक्षण किया जाए। इसके बाद जिन कुओं का संरक्षण किया जा सकता है, उनका चरणबद्ध तरीके से जीर्णोद्धार कराया जाए। राज्य में कई ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में ऐसे पुराने कुएं आज भी मौजूद हैं, जो कभी जल जीवन का आधार हुआ करते थे। लेकिन आधुनिक संसाधनों के चलते यह स्रोत उपेक्षित हो गए हैं।

सीएम का कहना कि इन पारंपरिक जल स्रोतों का न केवल ऐतिहासिक महत्व है, बल्कि ये जल संकट से जूझते क्षेत्रों के लिए एक समाधान भी बन सकते हैं। धामी सरकार एक बार फिर कुओं का रख-रखाव करने जा रही है। आपको बता दें कुएं प्राचीन काल से गांवों से लेकर शहरों तक मीठे और स्वच्छ जल के स्रोत रहे हैं। धार्मिंक और सांस्कृतिक रूप से भी कुंओं का महत्व है। कई जगहों पर कुंए ऐतिहासिक घटनाओं के साक्षी भी हैं। लेकिन समय के साथ बदलती जलापूर्ति व्यवस्था के कारण कुंओं का उपयोग घटता चला गया। वर्तमान में कई जगह कुएं अतिक्रमण या उपेक्षा के शिकार हो चुके हैं। लेकिन इसके लिए सीएम धामी ने बरसात से पहले कुओं की व्यापक सफाई कर उन्हें पुनर्जीवित करने के निर्देश दिए हैं। सीएम ने निर्देश दिए की ग्रामीण क्षेत्रों में भी विभिन्न सरकारी योजनाओं के जरिए कुओं की साफ सफाई कर उन्हें पुनर्जीवित किया जाएगा।

सारा के तहत जलस्रोतों को बचाने का प्रयास..
राज्य सरकार गेम चेंजर योजना के तहत स्प्रिंग एंड रिवर रिजुवेनेशन अथॉरिटी (सारा) के माध्यम से जल स्रोतों को संरक्षित करने का प्रयास कर रही है। जल संरक्षण अभियान 2024 के तहत कुल 6350 महत्वपूर्ण शुष्क जल स्रोतों की पहचान की गई है और पेयजल और सिंचाई के लिए महत्वपूर्ण 929 स्रोतों का उपचार किया गया है। साथ ही मैदानी इलाकों में भूजल पुनर्भरण के लिए 297 रिचार्ज शाफ्ट का निर्माण किया गया है। पिछले साल विभिन्न जल भंडारण और संग्रह संरचनाओं के निर्माण से 3.21 मिलियन क्यूबिक मीटर वर्षा जल रिचार्ज किया गया।

पीएम मोदी भी कर चुके हैं धारों को संरक्षित करने का जिक्र..
इस पहल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी समर्थन मिला है। उन्होंने 9 नवंबर को उत्तराखंड राज्य स्थापना दिवस पर अपने भाषण में राज्यवासियों से अपील की थी कि वे अपने पारंपरिक जल स्रोतों , नौलों और धारों को संरक्षित करें और स्वच्छता अभियानों को और गति दें। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में कहा कि उत्तराखंड में अपने नौलों धारों को पूजने की परंपरा रही है। प्रदेश सरकार इसी क्रम में कुओं को भी संरक्षित करने का अभियान शुरू करने जा रही है। सीएम धामी ने कहा कि कुंए हमारी सभ्यता के अहम अंग रहे हैं। शहरों से लेकर गांवों तक कई प्राचीन कुंए हैं। हमारा प्रयास है कि इन्हें फिर प्रयोग में लाया जाए, इससे जल संरक्षण के प्रयासों को भी बढ़ावा मिलेगा। साथ ही स्वच्छ जल के प्राकृतिक स्रोत भी संरक्षित हो सकेंगे।