स्पर्श हिमालय महोत्सव के तीसरे दिन योग, आध्यात्म और पर्यटन पर विशेष सत्र, सीएम धामी ने किया समापन..

स्पर्श हिमालय महोत्सव के तीसरे दिन योग, आध्यात्म और पर्यटन पर विशेष सत्र, सीएम धामी ने किया समापन..

 

उत्तराखंड: थानों के लेखक गांव में शांत प्राकृतिक वातावरण में चल रहे स्पर्श हिमालय महोत्सव के तीसरे दिन आज योग, आध्यात्म, नाड़ी विज्ञान और पर्यटन पर केंद्रित विशेष सत्रों का आयोजन किया गया। महोत्सव के समापन सत्र में सीएम पुष्कर सिंह धामी भी शामिल हुए और उन्होंने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। सीएम धामी ने कहा कि हिमालय सिर्फ भौगोलिक सीमा नहीं, बल्कि भारत की आध्यात्मिक आत्मा और जीवनदायिनी धरोहर है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के आयोजन युवाओं और पर्यटकों को भारतीय संस्कृति, योग, आयुर्वेद और प्राकृतिक जीवनशैली से जोड़ने का माध्यम हैं। सीएम ने आयोजकों को बधाई देते हुए कहा कि राज्य सरकार हिमालय क्षेत्र के संरक्षण और सतत विकास के लिए लगातार कार्य कर रही है। महोत्सव के तीसरे दिन आयोजित सत्र में प्रसिद्ध नाड़ी रोग विशेषज्ञ डॉ. लक्ष्मी नारायण जोशी ने कहा कि मानव शरीर के सभी रोगों की जड़ मस्तिष्क में होती है। मस्तिष्क से उत्पन्न असंतुलन ही शरीर में रोगों के रूप में प्रकट होता है। उन्होंने बताया कि “आहार, विहार और अनिद्रा” आज के युग के प्रमुख कारण हैं, जिनसे रोगों की संख्या तेजी से बढ़ रही है।

डॉ. जोशी ने कहा कि संयमित जीवनचर्या और योगाभ्यास से मन और शरीर दोनों को संतुलित किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि यदि मन स्वच्छ और शांत रहेगा तो शरीर स्वयं स्वस्थ रहेगा। उन्होंने यह भी बताया कि अवचेतन मन को स्वच्छ करने से रोगों की जड़ें समाप्त की जा सकती हैं। इसके साथ ही अन्य वक्ताओं ने भी योग, आध्यात्म और हिमालयी पारिस्थितिकी पर अपने विचार साझा किए। वक्ताओं ने कहा कि हिमालय न केवल भौतिक संपदा का केंद्र है, बल्कि यह भारत की संस्कृति, जलवायु और जैव विविधता का मूल स्रोत भी है। महोत्सव में बड़ी संख्या में योग साधक, अध्यात्म प्रेमी, विद्यार्थी और स्थानीय लोग शामिल हुए। विभिन्न स्टॉलों के माध्यम से उत्तराखंड के पर्यटन, जैविक उत्पादों और स्थानीय हस्तशिल्प की झलक भी प्रदर्शित की गई। कार्यक्रम के समापन अवसर पर सीएम ने कहा कि इस तरह के आयोजन राज्य की संस्कृति को नई पहचान दिलाने के साथ-साथ स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी सशक्त बना रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमारा उद्देश्य हिमालय और प्रकृति के प्रति लोगों में सम्मान, संवेदनशीलता और संरक्षण की भावना को बढ़ाना है।