नैनीताल हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, निजी आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेजों को बढ़ी हुई फीस लौटानी होगी..
उत्तराखंड: नैनीताल हाईकोर्ट ने राज्य के निजी आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेजों को बड़ा झटका दिया है। अदालत ने इन कॉलेजों की रिव्यू अपील को खारिज करते हुए साल 2018 में एकल पीठ द्वारा दिए गए आदेश को बरकरार रखा है। बता दे कि वर्ष 2018 में हाईकोर्ट की एकलपीठ ने उस शासनादेश को रद्द कर दिया था, जिसमें आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेजों की फीस ₹80 हजार के बजाय ₹2.15 लाख निर्धारित की गई थी। कॉलेज प्रबंधन की ओर से इस फैसले के खिलाफ रिव्यू अपील दायर की गई थी। बुधवार को इस मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति रवींद्र मैठाणी और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ में हुई, जहाँ कॉलेजों की अपील को खारिज कर दिया गया। हाईकोर्ट के इस निर्णय से छात्रों और अभिभावकों को बड़ी राहत मिली है, वहीं निजी कॉलेजों को अब पूर्व निर्धारित फीस पर ही एडमिशन देने होंगे।
नैनीताल हाईकोर्ट ने राज्य के निजी आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेजों को बड़ा झटका देते हुए उनकी रिव्यू अपील को खारिज कर दिया है। अदालत ने 2018 में एकल पीठ द्वारा दिए गए आदेश को बरकरार रखा है, जिसमें कॉलेजों की फीस बढ़ोतरी को अवैध करार दिया गया था। बता दे कि14 अक्टूबर 2015 को राज्य सरकार ने एक शासनादेश जारी कर निजी आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेजों की फीस ₹80 हजार से बढ़ाकर ₹2.15 लाख कर दी थी। यही नहीं, इस आदेश को 2013-14 शैक्षणिक सत्र से लागू माना गया था। इस फैसले को बीएमएस छात्र ललित तिवारी समेत अन्य छात्रों ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। उनका तर्क था कि वर्ष 2006 में बने अधिनियम के तहत शुल्क वृद्धि का अधिकार केवल फीस निर्धारण नियामक समिति को है, न कि राज्य सरकार को। इस तर्क को मानते हुए 9 जुलाई 2018 को हाईकोर्ट की एकलपीठ ने शासनादेश को रद्द कर दिया था। इसके खिलाफ निजी मेडिकल कॉलेजों ने रिव्यू अपील दायर की थी। बुधवार को न्यायमूर्ति रवींद्र मैठाणी और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ ने इस अपील को खारिज कर दिया।
एकलपीठ के इस आदेश को हिमालयन मेडिकल कॉलेज देहरादून और आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज प्रबंधन के संगठन ‘एसोसिएशन ऑफ कंबाइंड एंट्रेंस एग्जाम’ ने डिवीजनल पीठ में चुनौती दी। खंडपीठ ने भी यह अपील 9 अक्टूबर 2018 को खारिज कर दी। जिसके खिलाफ इनकी ओर से पुनर्विचार याचिका दायर की गई थी। जिसे 21 नवंबर 2020 को खंडपीठ ने याचिका को दोबारे सुनने के लिए मंजूर किया, फिर एकलपीठ ने साल 2018 में पारित आदेश पर ही रोक लगा दी। यह रिव्यू अपील बुधवार यानी 3 सितंबर 2025 को सुनवाई के लिए न्यायमूर्ति रवींद्र मैठाणी और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ में पेश हुई। याचिका की सुनवाई के बाद खंडपीठ ने एकलपीठ की ओर से साल 2018 में पारित आदेश को सही ठहराया है और राज्य के आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेजों को बीएमएस के छात्र-छात्राओं से लिए गए बढ़े हुए शुल्क को वापस करने के निर्देश दिए हैं। यह शुल्क करोड़ों रुपए में है। अकेले पतजंलि आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज ने पूर्व में कोर्ट में शपथ पत्र देकर 21 करोड़ रुपए लौटाए जाने की जानकारी दी थी। उत्तराखंड में कुल 12 आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज हैं। बता दें कि यह शुल्क 2018 तक ही लागू था। साल 2019 में हाईकोर्ट के निर्देश पर हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त जज की अध्यक्षता, प्रमुख सचिव स्वास्थ्य व प्रमुख सचिव तकनीकी शिक्षा (सदस्य) के रूप में गठित फीस निर्धारण कमेटी ने फीस निर्धारण कर दिया था, जो 2019 के बाद लागू है।