उत्तराखंड में डेमोग्राफिक चेंज को रोकने की तैयारी, यूपी सीमा पर वोटर आईडी की जांच शुरू..
उत्तराखंड: उत्तराखंड में तेजी से हो रहे डेमोग्राफिक बदलाव को लेकर राज्य सरकार पूरी तरह अलर्ट मोड पर है। सरकार ने माना है कि जनसंख्या संरचना में आ रहे अनियमित और असंतुलित परिवर्तन भविष्य में सामाजिक, प्रशासनिक और सुरक्षा स्तर पर गंभीर चुनौतियाँ पैदा कर सकते हैं। ऐसे में राज्य भर में अब बड़े पैमाने पर सत्यापन अभियान चलाकर स्थिति को नियंत्रित करने की कोशिश की जा रही है। सरकार की ओर से जारी निर्देशों के बाद उत्तराखंड के सभी जिलों में बाहरी राज्यों से आए लोगों, किरायेदारों और श्रमिकों का डोर-टू-डोर वेरिफिकेशन ड्राइव तेज कर दिया गया है। पुलिस और प्रशासन की संयुक्त टीमें पहचान, पते और रिकॉर्ड की पूरी जाँच कर रही हैं, ताकि संदिग्ध गतिविधियों या अवैध रूप से बसे लोगों को चिन्हित किया जा सके। राज्य सरकार ने यह भी पाया है कि कुछ क्षेत्रों में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर राशन कार्ड बनवाए जाने की शिकायतें बढ़ी हैं। ऐसे में अब सभी जिलों में राशन कार्डों की विस्तृत जांच शुरू की गई है। अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि बाहरी राज्यों के लोगों द्वारा बनाए गए राशन कार्डों को विशेष पैमाने पर जाँचकर आवश्यक कार्रवाई की जाए।
राज्य सरकार ने पिछले तीन वर्षों में बनाए गए सभी स्थाई निवास प्रमाण पत्रों का भी सत्यापन शुरू करा दिया है। कई मामलों में अन्य राज्यों के लोग गलत दस्तावेज़ लगाकर उत्तराखंड का निवास प्रमाण पत्र ले लेते हैं, जिससे सरकारी योजनाओं का दुरुपयोग होने की संभावना रहती है। इसलिए अब प्रत्येक प्रमाण पत्र की बारीकी से जांच की जा रही है। सरकार ने विशेष रूप से उत्तर प्रदेश सीमा से लगे जिलों में रहने वाले लोगों की वोटर आईडी की जांच कराने के निर्देश दिए हैं। सीमा क्षेत्रों में अवैध रूप से बसने या वोटर सूची में नाम जोड़ने की कोशिशों को रोकने के लिए यह कदम उठाया गया है। सरकार का कहना है कि यह कदम किसी भी समुदाय या प्रदेश विशेष को निशाना बनाने के लिए नहीं, बल्कि राज्य की सुरक्षा, जनसांख्यिकीय संतुलन और प्रशासनिक पारदर्शिता को बनाए रखने के लिए उठाए जा रहे हैं। अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि जांच प्रक्रिया पारदर्शी और समयबद्ध हो, ताकि किसी प्रकार का दुरुपयोग न हो सके। राज्य सरकार का दावा है कि इन सभी उपायों के माध्यम से उत्तराखंड में डेमोग्राफिक बदलावों पर प्रभावी नियंत्रण स्थापित किया जाएगा और भविष्य में किसी भी संदिग्ध या अवैध गतिविधि को रोकना आसान होगा।
उत्तराखंड में फर्जी दस्तावेज़ों, अवैध बस्तियों और जनसंख्या संरचना में असंतुलित बदलाव के मामलों के सामने आने के बाद राज्य सरकार ने डेमोग्राफिक चेंज को रोकने के लिए सख्त और व्यापक कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। सरकार का कहना है कि यदि समय रहते कठोर कार्रवाई नहीं की गई तो प्रदेश का सामाजिक संतुलन और सुरक्षा ढांचा गंभीर रूप से प्रभावित हो सकता है। डेमोग्राफिक बदलाव पर रोक लगाने के लिए राज्य सरकार की शुरुआत सख्त भू-कानून को लागू करने से हुई, जिसके तहत जमीन की खरीद-फरोख्त में अनियमितताओं पर नियंत्रण और बाहरी व्यक्तियों की गतिविधियों पर निगरानी को मजबूत किया गया है। इसके बाद प्रदेशभर में कालनेमि अभियान चलाया गया, जिसके तहत फर्जी दस्तावेजों, अवैध कब्जों और संदिग्ध पहचान वाले लोगों की पहचान कर उन पर कार्रवाई की जा रही है। डेमोग्राफिक चेंज पर अंकुश लगाने के लिए सरकार का अगला बड़ा कदम है देवभूमि परिवार योजना, जिसे हाल ही में हुई मंत्रिमंडल बैठक में मंजूरी दी गई है। इस योजना का उद्देश्य प्रदेश की सांस्कृतिक, सामाजिक और जनसंख्यिकीय संरचना को संतुलित बनाए रखना है। योजना के क्रियान्वयन के बाद बाहरी राज्यों से आने वाली जनसंख्या, उनकी बसावट और दस्तावेज़ों की जांच की प्रक्रिया और अधिक कड़ी होगी। धामी कई बार डेमोग्राफिक चेंज को लेकर बयान दे चुके हैं। उन्होंने कहा उत्तराखंड के मूल स्वरूप को बदलने नहीं दिया जाएगा।
उत्तराखंड में डेमोग्राफिक चेंज एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। प्रदेश के शहरी क्षेत्र में बाहरी लोगों के जनसंख्या का दबाव लगातार बढ़ता जा रहा है। जिससे राज्य की सांस्कृतिक पहचान, सामाजिक ढांचा और संसाधन प्रभावित हो रहे हैं। प्रदेश में फर्जी दस्तावेज तैयार कर, राशन कार्ड आधार कार्ड बनवाने के साथ ही सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने जैसे तमाम मामले भी सामने आ चुके हैं। यही वजह है कि राज्य सरकार ने डेमोग्राफिक चेंज रोकने के लिए तमाम प्रशासनिक कार्रवाइयां चला रही है। जिसमें मुख्य रूप से सत्यापन अभियान के तहत फर्जी दस्तावेजों की जांच कर रही है। बड़े पैमाने पर सूचनाएं आ रही हैं कि दस्तावेजों को बनाने में गड़बड़ियां की गई हैं, जो लोग पात्र नहीं थे उनको भी पात्रता की श्रेणी में लाया गया है। जिसके चलते गलत तरीके से राशन कार्ड, बिजली के कनेक्शन दे दिए गए हैं, आधार कार्ड बन गए हैं। इसके साथ ही पहचान पत्र दे दिए गए हैं। ऐसे में वो सभी जांच के दायरे में आएंगे, जिस पर कड़ाई से पालन करने के निर्देश दिए गए हैं।
सीएम धामी ने खुलासा किया कि उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश की सीमा से लगे कई क्षेत्रों में दो अलग-अलग स्थानों पर डुप्लिकेट वोटर आईडी बनाए जाने की शिकायतें सामने आई हैं। सरकार ने इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए इसका व्यापक सत्यापन शुरू कर दिया है। सीएम ने कहा कि उधमसिंह नगर, चंपावत, नैनीताल, हरिद्वार, देहरादून और पौड़ी जैसे सीमावर्ती जिलों में ऐसे मामलों की जांच तेजी से की जाएगी। प्रशासन को निर्देश दिए गए हैं कि वोटर सूची, निवास प्रमाण और अन्य पहचान पत्रों की गहन जांच की जाए, ताकि कहीं भी दोहरी पहचान के आधार पर मतदान या सरकारी लाभ लेने की कोशिश न हो सके। सीएम धामी ने कहा कि प्रदेश की डेमोग्राफी में पिछले वर्षों में जो बड़े पैमाने पर परिवर्तन दिखा है, वह राज्य की सुरक्षा, सामाजिक संरचना और सांस्कृतिक संतुलन के लिए घातक संकेत है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि राज्य सरकार ऐसे किसी भी बदलाव को बर्दाश्त नहीं करेगी जो उत्तराखंड के मूल स्वरूप को प्रभावित करता हो। सीएम ने यह भी कहा कि जिन अधिकारियों या लोगों ने अपात्र व्यक्तियों को पात्र श्रेणी में शामिल करने में भूमिका निभाई है, उन पर भी सख्त कार्रवाई की जाएगी। फर्जी तरीके से लाभ लेने वालों के साथ-साथ उन्हें संरक्षण देने वाले जिम्मेदार व्यक्तियों पर जांच शुरू हो चुकी है और आने वाले समय में कार्रवाई और तेज होगी।
