लोल्टी गांव बना फिल्ममेकर्स की पसंद, गढ़वाली सिनेमा के बाद अब हिंदी फिल्मों की तैयारी..
उत्तराखंड: लोल्टी गांव धीरे-धीरे गढ़वाल का फिल्म डेस्टिनेशन बनता जा रहा है। बौल्या काका जैसी गढ़वाली फिल्मों की शूटिंग के साथ यह जगह निर्माताओं के लिए खास लोकेशन बन रही है। अब तक यहां 20 से अधिक गढ़वाली फिल्मों की शूटिंग हो चुकी है, जिससे स्थानीय लोग इस गांव को फिल्म हब के रूप में विकसित करने की मांग कर रहे हैं। जिससे यहां हिंदी और अन्य भाषा की फिल्मों का भी फिल्मांकन हो सके। सिमली-ग्वालदम-अल्मोड़ा हाइवे पर स्थित बसा यहाँ गांव चारों ओर बांज-बुरांश के जंगल, सामने हिमाच्छादित चोटियां से घिरा है। अगर इसे आधिकारिक रूप से फिल्म डेस्टिनेशन का दर्जा मिलता है, तो यह पर्यटन और स्थानीय रोजगार को भी बढ़ावा देगा।
आपको बता दे कि लोल्टी गांव में बंटवारू, बेटी-ब्वारी, काफल, तेरी सौं सहित बीस से अधिक फिल्मों की शूटिंग हो चुकी है। जबकि रंगीली भाना, पुष्पा छोरी, भानूमती, हिमाली डांडा, सुरमा स्याली, घरजवैं सहित 50 से अधिक गढ़वाली, कुमाऊंनी फिल्मों, वीडियो, एलबम भी शूट हो चुके हैं। अब इन दिनों यहां गढ़वाली फिल्म बौल्या काका की शूटिंग हो रही है जो बीस दिन तक चलेगी।
गढ़वाली सिनेमा के लिए मॉडल फिल्म डेस्टिनेशन बन रहा लोल्टी गांव अब बॉलीवुड की नजरों में भी आ गया है। निर्माता-निर्देशक शिवनारायण रावत और गोपाल रावत का कहना हैं कि यहां के खेत-खलिहान, खुले दरवाजों वाले घर और अद्भुत प्राकृतिक सौंदर्य किसी भी फिल्म के फिल्मांकन के लिए आदर्श हैं।बॉलीवुड अभिनेता हेमंत पांडे ने भी गांव की खूबसूरती की सराहना करते हुए कहा कि भविष्य में यहां कई और फिल्मों की शूटिंग होगी, जिससे स्थानीय कलाकारों और युवाओं को नए अवसर मिलेंगे। अगर इसे आधिकारिक फिल्म डेस्टिनेशन का दर्जा मिलता है, तो यह उत्तराखंड के पर्यटन और सिनेमा इंडस्ट्री के लिए एक बड़ा कदम साबित हो सकता है।
लोल्टी गांव में 300 परिवार रहते हैं लेकिन यहां पर किसी भी घर में ताला नहीं है। निर्देशक शिवनारायण काका का कहना हैं कि शराब विरोधी आंदोलन में यहां की महिलाओं का अहम योगदान है। स्थानीय विनोद रावत अधिवक्ता रमेश चंद्र थपलियाल आदि लोगों का कहना है कि लोल्टी गांव को पर्यटन के साथ ही फिल्म डेस्टिनेशन के रूप में संवारा जाना चाहिए। ताकि यहां के लोगों को लाभ मिल सके।