कांवड़ यात्रा नहीं होगी प्रभावित, निर्वाचन आयोग ने कांवड़ियों की सुरक्षा ध्यान में रखकर तय किया पंचायत चुनाव का कार्यक्रम..
उत्तराखंड: उत्तराखंड में होने वाले त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर राज्य निर्वाचन आयोग ने एक बड़ा निर्णय लेते हुए चुनाव कार्यक्रम में बदलाव किया है। चुनाव की नई तारीखों के निर्धारण में चारधाम यात्रा, कांवड़ यात्रा और मानसून के प्रभाव जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं का ध्यान रखा गया है। 11 से 23 जुलाई के बीच कांवड़ यात्रा के दौरान हजारों की संख्या में श्रद्धालु हरिद्वार सहित अन्य क्षेत्रों में पहुंचते हैं। इस दौरान कई राज्य मार्गों पर यातायात बाधित रहता है और प्रशासन की अधिकांश मशीनरी श्रद्धालुओं की सुरक्षा और सुविधा में जुट जाती है। अगर पंचायत चुनाव उसी अवधि में होते तो सुरक्षा व्यवस्था और प्रशासनिक संसाधनों की कमी का गंभीर संकट खड़ा हो सकता था।
जुलाई में उत्तराखंड में मानसून अपने चरम पर होता है, जिससे कई स्थानों पर भूस्खलन, मार्ग अवरोध और संचार बाधाएं उत्पन्न होती हैं। ऐसी स्थिति में चुनाव कराना मतदाता और कर्मचारियों दोनों के लिए जोखिमभरा हो सकता था। इन परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए राज्य निर्वाचन आयोग ने पंचायत चुनाव की अधिसूचना में संशोधन किया है। अब चुनाव की तिथियां कांवड़ यात्रा समाप्त होने के बाद तय की गई हैं, ताकि सुरक्षा बल पर्याप्त संख्या में उपलब्ध रहें। प्रशासन चुनाव कार्यों पर पूर्ण ध्यान दे सके। मतदाता सुगमता से मतदान कर सकें।
उत्तराखंड में आगामी त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर राज्य निर्वाचन आयोग ने मौसमी परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए चुनाव प्रक्रिया को दो चरणों में आयोजित करने का निर्णय लिया है। राज्य निर्वाचन आयुक्त सुशील कुमार ने सोमवार को इसकी जानकारी देते हुए कहा कि बरसात और मानसून के प्रभाव को प्राथमिकता पर रखकर यह योजना बनाई गई है। प्रदेश में मानसून सीजन में भारी बारिश और आपदाओं की आशंका को देखते हुए निर्वाचन आयोग ने क्षेत्रीय संवेदनशीलता के आधार पर चुनाव को दो चरणों में विभाजित किया है।
राज्य निर्वाचन आयुक्त ने स्पष्ट किया कि पहले चरण में उन क्षेत्रों में मतदान कराया जाएगा, जहां बारिश से अधिक नुकसान की संभावना है। दूसरे चरण में अपेक्षाकृत सुरक्षित और कम प्रभावित जिलों में चुनाव होंगे।रुद्रप्रयाग और बागेश्वर जिले, जो कि बारिश के दौरान अक्सर भूस्खलन और मार्ग अवरुद्ध जैसी समस्याओं से जूझते हैं, को पहले चरण में शामिल किया गया है। इससे पहले इन जिलों में समय रहते चुनाव संपन्न कराने का उद्देश्य है, ताकि बाद में मौसम बिगड़ने पर चुनाव प्रभावित न हों। दो चरणों में चुनाव होने से प्रशासनिक और सुरक्षा बलों का बेहतर प्रबंधन संभव होगा। आपदा प्रबंधन और चुनाव व्यवस्था दोनों को संभालना अधिक सुगम होगा।
आपदा प्रबंधन के साथ बैठक कर चुनाव में मानसूनी अड़चनों, खतरों से सुरक्षा की तैयारी की जा रही है। जरूरत पड़ने पर हेलिकॉप्टर की भी मदद ली जाएगी। पोलिंग पार्टियों के सुरक्षित गंतव्य तक पहुंचने और वापसी के लिए विशेष योजना बनाई जाएगी। हर जिले में मानसून के अपने खतरे और नुकसान की आशंकाएं होती हैं। लिहाजा, जिलावार भी आपदा प्रबंधन की योजनाएं बनाई जा रही हैं, जिससे पंचायत चुनाव आसानी से पूरे हो सके।