साइबर हमलों के बीच ITDA की कार्यक्षमता पर संकट..
उत्तराखंड: सूचना प्रौद्योगिकी विकास एजेंसी (आईटीडीए) के अफसरों के एक और फैसले पर साइबर हमले के बाद सवाल खड़े हो रहे हैं। सवाल इसलिए भी क्योंकि आईटीडीए में अर्हता न रखने वाले लोग तो महंगे वेतन पर भर्ती कर दिए, लेकिन केंद्र सरकार से जो आईटी सेवाएं देने वाले विशेषज्ञ निशुल्क मिले थे, उन्हें राज्य ने केंद्र को लौटा दिया। हम बात कर रहे हैं केंद्रीय आईटी मंत्रालय की स्टेट ई-मिशन टीम (एसईएमटी) की। सभी राज्यों में केंद्र ने यह विशेषज्ञ टीम आईटी इनिशिएटिव, तकनीकी, सॉल्यूशन और सिक्योरिटी आदि में सेवाएं देने के लिए रखी हुई हैं। उत्तराखंड में भी एसईएमटी के लिए सात पद सृजित हैं। इनमें से चार पदों पर लोग काम कर रहे थे।
इन्होंने राज्य में सिंगल विंडो, ई-ऑफिस, डिजास्टर मैनेजमेंट, ड्रोन सेवाओं में विशेष सहयोग भी दिया। दो लोग खुद ही टीम छोड़कर चले गए थे। बचे हुए दो लोगों को राज्य ने केंद्र को लौटा दिया है। इसके बाद एक व्यक्ति आया, लेकिन वह भी छोड़कर चला गया। सवाल इसलिए खड़े हो रहे, क्योंकि इन सभी विशेषज्ञों का वेतन आदि का पूरा खर्च केंद्र ही वहन करती है। आईटी से जुड़े लोगों का कहना है कि आईटीडीए में कम अर्हता वाले लोगों को बड़े पदों पर भारी वेतन के साथ तो रख लिया गया, लेकिन केंद्र के ये निशुल्क विशेषज्ञ कोई रखने को तैयार नहीं। पक्ष जानने के लिए आईटीडीए की निदेशक नितिका खंडेलवाल को फोन कर मैसेज भी भेजा गया, लेकिन उनका जवाब नहीं मिल सका।
सभी कमियों का विश्लेषण कर रही विशेषज्ञ टीम..
सचिव आईटी नितेश झा के निर्देश पर एनआईसीएसआई के विशेषज्ञों की टीम आईटीडीए और सभी आईटी सेवाओं की खामियों का विश्लेषण कर रही है। टीम ने अपनी प्राथमिक रिपोर्ट में कई कमियां गिनाई थीं। अब रिपोर्ट तैयार हो रही है। सचिव आईटी के अनुसार इसके आधार पर आईटी सेवाओं को सुदृढ़ किया जाएगा, ताकि भविष्य में इस तरह की परेशानियां पेश न आएं।