देहरादून। उत्तराखंड के चतुर्थ विधानसभा के द्वितीय सत्र में शनिवार को एक और विशिष्ट उपलब्धि सदन के साथ जुड गयी। सदन में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा निर्धारित विकास के 16 सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स यानी सतत् विकास लक्ष्यों पर ऐतिहासिक चर्चा हुई। उत्तराखंड विधानसभा उत्तर-प्रदेश के बाद दूसरी ऐसी विधानसभा होगी, जिसने संपूर्ण उपवेशन इस महत्वपूर्ण विषय पर चर्चा के लिए समर्पित किया।इस दौरान विधानसभा के 29 सदस्यों ने अपने विचारों को रखा।सदन शनिवार को बिना बाधित हुए 6 घंटे 56 मिनट चला साथ ही विधानसभा अध्यक्ष द्वारा सदन को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया।
सत्र के दौरान सदन में मुख्यमंत्री, संसदीय कार्य मंत्री सहित करण माहरा, देशराज कर्णवाल, प्रीतम पंवार, खजान दास, राम सिंह केड़ा, ममता राकेश, मुन्ना चौहान, काजी निजामुद्दीन सहित अनेकों विधायकों द्वारा विधानसभा के सफल व सुचारु संचालन के लिए विधानसभा अध्यक्ष की सराहना की गयी साथ ही सतत् विकास लक्ष्य पर एक दिन का पूरा उपवेशन आयोजित करने के लिए बधाई भी दी। विधानसभा अध्यक्ष द्वारा अपने अध्यक्ष विवेकाधीन कोष को विधायकों के माध्यम से प्रदेश के प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में दिए जाने के लिए विधायकों द्वारा सदन से श्री अग्रवाल की प्रशंसा की गयी।
इस अवसर पर विधानसभा अध्यक्ष प्रेम चंद अग्रवाल ने नेता सदन तथा कार्य मंत्रणा समिति का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि इस विषय पर सत्तापक्ष एवं विपक्ष ने रुचि दिखाई और उपवेशन की अवधि को न सिर्फ एक दिन के लिए बढ़ाया, बल्कि समस्त उपवेशन को इस विषय पर चर्चा के लिए रखा।उन्होंने प्रतिभाग करने वाले सभी माननीय सदस्यों का दलगत राजनीति से ऊपर उठकर प्रदेश के विकास में एकजुट होकर सतत विकास लक्ष्यों पर चर्चा एवं अपने सुझाव रखने के लिए सदन की पीठ से आभार व्यक्त किया।
विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि सितंबर, 2000 में यूनाइटेड नेशंस ने मिलेनियम समिट किया था और उसमें 198 देशों ने एकमत होकर 08 मिलेनियम डेवलपमेंट गोल्स यानी सहस्त्राब्दि विकास लक्ष्य तय किए थे। इन लक्ष्यों को 2015 तक पूरा किया जाना था। 2015 में सभी देश लक्ष्यों की समीक्षा करने के लिए एकत्रित हुए। कई उपलब्धियां इस दौरान विभिन्न राष्ट्रों ने हासिल कीं और इसके काफी सकारात्मक परिणाम देखने को मिले, लेकिन यह भी महसूस किया गया कि अभी काफी कुछ और करने की आवश्यकता है। 25 से 27 सितंबर, 2015 को संयुक्त राष्ट्र महासभा में सदस्य देशों के राष्ट्राध्यक्षों ने विकास के 17 लक्ष्यों को आम सहमति से स्वीकार किया, जिन्हें सतत् विकास लक्ष्य नाम दिया गया तथा अगले 15 वर्षों में इन्हें पूरा करने का लक्ष्य तय किया गया। इसके तहत इस धरती से भुखमरी और गरीबी को खत्म करने, लोगों को बेहतर स्वास्थ्य, शिक्षा, स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने, सभी देशों में शांति और न्याय का वातावरण स्थापित करने, असमानता को मिटाने, पर्यावरण संरक्षण आदि 17 लक्ष्य निर्धारित किए गए। ये लक्ष्य ‘कोई पीछे नहीं छूटे’ के सिद्धांत पर आधारित हैं तथा सभी राष्ट्रों को इन्हें हासिल करना है। यूएनडीपी की निगरानी और संरक्षण में सभी राष्ट्र इन लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में अग्रसर हैं।
विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि सतत् विकास लक्ष्यों को हासिल करने में भारत में बहुत सराहनीय कार्य किए जा रहे हैं। नीति आयोग नोडल एजेंसी के रूप में इन लक्ष्यों के क्रियान्वयन पर निगरानी तथा समन्वय का कार्य कर रहा है। नीति आयोग द्वारा इन लक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए कई योजनाएं चिन्हित की गई हैं। उत्तराखंड ने भी इन लक्ष्यों को हासिल करने की दिशा में अपनी प्रतिबद्धता जताई है तथा राज्य स्तर पर 371 तथा जनपद स्तर पर 132 संकेतक चिन्हित किए गए हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए उत्तराखंड सरकार द्वारा दिसंबर 2018 में राज्य विजन दस्तावेज 2030 जारी किया गया था, जो इन लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में एक मार्गदर्शक की भूमिका निभा रहा है।
उन्होंने कहा की विधायिकाएं इन लक्ष्यों की प्राप्ति में महति भूमिका निभा सकती हैं। जनप्रतिनिधि समीक्षात्मक, परामर्शीय, सहभागी एवं साधन सुलभकर्ता के रूप में अपना योगदान देकर इन लक्ष्यों को हासिल करने में अपना योगदान दें, ऐसा हमारा ध्येय होना चाहिए।देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का विजन, ‘सबका साथ-सबका विकास-सबका विश्वास’ एक तरीके से सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति का मूल मंत्र भी है। सतत् विकास लक्ष्यों को लेकर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला जी चिंतनशील रहते हैं और उनका मानना है कि इन लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में विधायिकाएं महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकती हैं, इसलिए सदन में इस विषय पर गंभीर चर्चा होनी चाहिए। विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि सतत विकास के यह लक्ष्य मानव जीवन के प्रत्येक पहलू को कवर करते हैं। यदि ये लक्ष्य निर्धारित समय के भीतर हासिल कर लिए जाते हैं दुनिया के सभी मुल्कों में हर नागरिक का जीवन आसान होगा और उन्हें जीने के बेहतर विकल्प मिलेंगे। आज सदन में हमें इन लक्ष्यों को हासिल करने को लेकर अपने दायित्वों को भी समझना होगा। हम सबने मिलकर यह देखना है कि हम कैसे अपनी भूमिका निभा सकते हैं। ये लक्ष्य सामूहिक प्रयासों के जरिये ही हासिल किए जा सकते हैं। जनहित की योजनाओं का लाभ जनता को मिले, यह सुनिश्चित हम सभी लोग कर सकते हैं। उन्होंने सदस्यों से कहा कि विभिन्न योजनाओं को धरातल पर लागू करने में जो-जो कठिनाइयां महसूस करते हैं, उन्हें सदन की चर्चा में उजागर किया गया।योजनाओं का पूरा लाभ लोगों को मिले इसके लिए सदन के माध्यम से कार्यपालिका की जवाबदेही सुनिश्चित की जाएगी