मलबे और भू-धंसाव से जूझ रहा गंगोत्री मार्ग, यात्री आवागमन फिलहाल बंद..

मलबे और भू-धंसाव से जूझ रहा गंगोत्री मार्ग, यात्री आवागमन फिलहाल बंद..

 

 

उत्तराखंड: गंगोत्री धाम जाने वाले यात्रियों के लिए राहत की खबर है। नौ दिन से बंद पड़ी गंगोत्री हाईवे पर आवाजाही बहाल करने के प्रयास तेज हो गए हैं। डबरानी, सोनगाड़, लोहारीनाग, हर्षिल और धराली में भारी मलबा आने और भू-धंसाव के कारण मार्ग बाधित है। लोक निर्माण विभाग के सचिव पंकज पांडेय ने कहा कि सीमा सड़क संगठन के साथ मिलकर दिन-रात सड़क खोलने का कार्य जारी है और उम्मीद है कि अगले तीन दिनों में मार्ग बहाल हो जाएगा। हालांकि, यात्रा सुरक्षा कारणों से अभी बंद रहेगी। धराली आपदा के बाद से उत्तरकाशी-गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग बंद होने से गंगोत्री धाम तक पहुंचना मुश्किल हो गया है। जिलाधिकारी प्रशांत आर्या ने कहा कि मार्ग खोलने में अभी तीन से चार दिन और लग सकते हैं। डबरानी, सोनगाड़, लोहारीनाग, हर्षिल और धराली में मलबा आने और सड़कों के बहने से यातायात पूरी तरह ठप है। नेताला में सड़क खुली है, लेकिन यहां लगातार मलबा गिरने से खतरा बना हुआ है। आपदा प्रभावित क्षेत्रों में राहत एवं बचाव कार्य के लिए जरूरी सामान और दैनिक उपयोग की वस्तुएं फिलहाल हेलीकॉप्टर के माध्यम से ही पहुंचाई जा रही हैं।

उत्तराखंड में लगातार बारिश और भूस्खलन से चारधाम यात्रा पर असर पड़ा है। उत्तरकाशी के जिलाधिकारी प्रशांत आर्या का कहना हैं कि सीमा सड़क संगठन की कोशिशों से गंगोत्री तक अगले कुछ दिनों में वाहनों की आवाजाही शुरू हो जाएगी, लेकिन सड़कों की खराब स्थिति के कारण यात्रा फिलहाल बंद रहेगी। लोक निर्माण विभाग के सचिव पंकज पाण्डेय ने कहा कि बद्रीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर पागलनाला के पास बार-बार मलबा गिरने के बावजूद इसे साफ कर दिया गया है। वहीं, केदारनाथ और यमुनोत्री के मार्ग भी प्रभावित हैं, हालांकि गंगोत्री को छोड़कर अन्य तीनों धामों के रास्ते यात्रा के लिए खुले हैं।

धराली आपदा को नौ दिन बीत जाने के बाद भी लापता लोगों का कोई सुराग नहीं मिल पाया है। अब तक मलबे से केवल एक शव बरामद हुआ है, जबकि कई लोग अब भी लापता हैं। राहत एवं बचाव कार्य में जुटी टीमों को कठिन पहाड़ी परिस्थितियों और बंद सड़कों के कारण भारी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। एसडीआरएफ के आईजी अरुण मोहन जोशी ने कहा कि डॉग स्क्वाड, थर्मल कैमरा और जीपीएस जैसे अत्याधुनिक उपकरणों की मदद से संभावित स्थानों पर मलबे में दबे लोगों का पता लगाने की कोशिश की जा रही है। हर दिन बैठक कर खोज अभियान की नई रणनीति बनाई जाती है, लेकिन मलबा अत्यधिक होने और सड़कें बाधित होने के कारण सभी स्थलों पर तत्काल पहुंचना संभव नहीं हो पा रहा है। इससे बचाव कार्य की रफ्तार काफी धीमी हो गई है और प्रभावित परिवारों की चिंता बढ़ गई है।