उत्तराखंड में महंगी होगी शराब, आबकारी विभाग ने बदला वैट फार्मूला..

उत्तराखंड में महंगी होगी शराब, आबकारी विभाग ने बदला वैट फार्मूला..

 

उत्तराखंड: उत्तराखंड आबकारी विभाग ने शराब पर लगाए जाने वाले वैट (VAT) को लेकर बड़ा बदलाव किया है। अब तक शराब पर वैट का फार्मूला एक्साइज ड्यूटी से पहले लागू किया जाता था, जिससे कुल बिक्री के अनुसार राज्य को राजस्व अपेक्षित स्तर से कम मिल रहा था। आबकारी विभाग ने इस फार्मूले को संशोधित कर एक्साइज ड्यूटी के बाद VAT लागू कर दिया है, जिससे अब शराब की कुल बिक्री पर अधिक राजस्व प्राप्त होगा। विभाग के अनुसार नई आबकारी नीति लागू करते समय VAT को एक्साइज ड्यूटी से पहले जोड़ दिया गया था, जिसका प्रभाव राज्य के राजस्व पर पड़ा। इस बदलाव के कारण राज्य सरकार को अब राजस्व में वृद्धि होगी, हालांकि शराब की कीमतें उपभोक्ताओं के लिए थोड़ी महंगी हो जाएंगी। उत्तराखंड आबकारी विभाग के अधिकारियों ने बताया कि संशोधित फार्मूले के तहत अब शराब की कुल बिक्री पर लगने वाली एक्साइज ड्यूटी पर भी VAT लगाया जाएगा, जिससे राज्य को इसका पूरा लाभ मिलेगा।

इस बदलाव से आबकारी नीति और राजस्व संग्रह प्रणाली और अधिक पारदर्शी और प्रभावी बनेगी। विशेषज्ञों का कहना है कि यह कदम राज्य सरकार के लिए आर्थिक दृष्टि से लाभकारी है और आबकारी विभाग की राजस्व संग्रह प्रक्रिया को मजबूती देगा। उपभोक्ताओं के लिए कीमत में मामूली वृद्धि होगी, लेकिन इसका सीधा फायदा राज्य के विकास और सामाजिक कल्याण योजनाओं के लिए होगा। उत्तराखंड सरकार का लक्ष्य है कि आबकारी नीति के तहत राजस्व की स्थिरता और पारदर्शिता सुनिश्चित की जाए और राज्य के वित्तीय संसाधनों में वृद्धि की जाए। विभाग ने इस बदलाव के बारे में व्यापारी और आम जनता को समय रहते जानकारी देने की भी व्यवस्था की है।

उत्तराखंड आबकारी विभाग ने वित्तीय वर्ष 2025-26 की आबकारी नीति में किए गए VAT फार्मूले में बड़ा बदलाव किया है। पहले नीति के तहत VAT को अंतिम बिक्री मूल्य में शामिल करने के बजाय एक्साइज ड्यूटी से पहले लगाया गया था, जिससे राज्य को शराब बिक्री से अपेक्षित राजस्व नहीं मिल पा रहा था।विशेषज्ञों के अनुसार इस बदलाव के कारण आबकारी विभाग का दावा था कि वर्ष 2025-26 में राज्य को 5 हजार करोड़ रुपये से अधिक का राजस्व प्राप्त होगा, लेकिन VAT निर्धारण की नई व्यवस्था ने वास्तव में शराब बिक्री से मिलने वाले राजस्व को घटा दिया। एक्साइज ड्यूटी पर लगने वाला VAT राज्य को नहीं मिल पाया, जिससे राजस्व में कमी दर्ज हुई। जब वित्त विभाग ने इस पर गंभीर आपत्ति जताई और विस्तृत क्वेरी लगाई, तो आबकारी विभाग को VAT फार्मूले में संशोधन करना पड़ा। अब संशोधित फार्मूले के तहत VAT एक्साइज ड्यूटी के बाद लगाया जाएगा, जिससे शराब की कुल बिक्री पर राज्य को अधिक राजस्व प्राप्त होगा। विभाग के अधिकारियों ने कहा कि इस बदलाव से राज्य सरकार को राजस्व में वृद्धि होगी और आबकारी नीति अधिक पारदर्शी और प्रभावी बन जाएगी। हालांकि, उपभोक्ताओं के लिए शराब की कीमतों में मामूली वृद्धि हो सकती है, लेकिन इसका सीधा लाभ राज्य के विकास और सामाजिक कल्याण योजनाओं में जाएगा।

प्रमुख सचिव आबकारी की ओर से जारी आदेश के अनुसार नई नीति को लेकर पिछले काफी समय से शासन में होमवर्क चल रहा था। वित्त विभाग ने इस पर आपत्ति लगाई थी और इसके बाद से ही आबकारी नीति में संशोधन पर चर्चा शुरू हो गई। तर्क ये था कि वैट सबसे आखिरी में टैक्स के रूप में लगाया जाता है और इसके एक्साइज ड्यूटी से पहले लगने के कारण राज्य को कम राजस्व मिल रहा है। यह स्थिति सरकार के लिए चिंताजनक थी, क्योंकि शराब से मिलने वाला राजस्व राज्य के कुल आय स्रोतों में महत्वपूर्ण हिस्सा रखता है। वित्त विभाग की आपत्तियों के बाद आबकारी विभाग ने अब संशोधित आदेश जारी करते हुए एक्साइज ड्यूटी पर भी 12 फीसदी की दर से वैट फिर से शामिल कर दिया है। इस संशोधन का सीधा असर बाजार पर देखने को मिलेगा। शराब अब पहले से महंगी हो जाएगी। इस वृद्धि के बाद शराब की बिक्री पर भी असर संभव है। एक्साइज ड्यूटी पर वैट जोड़ने से राज्य की राजस्व प्राप्ति में बिक्री को लेकर स्पष्ट रूप से बढ़ोतरी होगी। यह कदम राज्य की वित्तीय स्थिति को मजबूत करने की दिशा में अहम साबित हो सकता है। हालांकि, नीति में हुए प्रारंभिक बदलाव के चलते राजस्व नुकसान की भरपाई या जिम्मेदारी पर कोई बात नहीं हो रही है।