नवोदय विद्यालयों का कैडर प्रस्ताव फंसा, शिक्षा विभाग में संवर्ग निर्माण की प्रक्रिया ठप..

नवोदय विद्यालयों का कैडर प्रस्ताव फंसा, शिक्षा विभाग में संवर्ग निर्माण की प्रक्रिया ठप..

 

 

उत्तराखंड: प्रदेश में राजीव गांधी नवोदय विद्यालयों के संचालन और शैक्षणिक गुणवत्ता को सुदृढ़ करने के लिए तैयार किया गया अलग कैडर का प्रस्ताव एक वर्ष से अधिक समय से शासन स्तर पर लंबित है। शिक्षा विभाग द्वारा पिछले साल शासन को भेजे गए इस प्रस्ताव पर अब तक कोई निर्णय नहीं हो पाया है, जिसके चलते इन विद्यालयों में शिक्षकों की नियमित नियुक्ति की प्रक्रिया अधर में अटकी हुई है। राज्य के सरकारी प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालय पहले ही शिक्षकों की भारी कमी से जूझ रहे हैं। ऐसे में राजीव गांधी नवोदय विद्यालयों में तैनाती के लिए सरकारी माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों को प्रतिनियुक्ति पर भेजा जा रहा है। फिलहाल इन आवासीय विद्यालयों में कार्यरत अधिकतर शिक्षक प्रतिनियुक्ति पर ही तैनात हैं, जिससे मूल विद्यालयों में शिक्षकों की संख्या और घट जाती है। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि राजीव गांधी नवोदय विद्यालयों की प्रकृति आवासीय होने के कारण इन स्कूलों में शिक्षकों का अलग और विशेष कैडर बनाया जाना बेहद आवश्यक है, ताकि छात्रों को नियमित शैक्षणिक सहायता मिल सके और कर्मचारियों की कमी भी न बने।

विभाग इस दिशा में लंबे समय से प्रयासरत है, पर शासन स्तर पर निर्णय न होने से मामला अटका हुआ है। इसके साथ ही एससीईआरटी और डायट के लिए भी शिक्षक एवं शिक्षा के अलग संवर्ग का गठन अब तक नहीं हो पाया है। शिक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि इन संस्थानों की भूमिका प्रशिक्षण और शिक्षा सुधारों के लिए बेहद अहम है, ऐसे में अलग संवर्ग का गठन गुणवत्ता सुधार की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है। लंबे समय से लंबित यह मामला शिक्षा व्यवस्था की मजबूती पर भी सवाल खड़े करता है। अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि शासन इन संवेदनशील प्रस्तावों पर कब अंतिम निर्णय लेता है। इसके बावजूद अब तक अलग कैडर के प्रस्ताव को मंजूरी नहीं मिली। अलग कैडर बनने से इन विद्यालयों में तैनात शिक्षकों और कर्मचारियों के राजीव गांधी नवोदय विद्यालयों में ही तबादले एवं पदोन्नति की जा सकेगी।

पदोन्नति के होंगे प्रधानाचार्य और उप प्रधानाचार्य के पद..

राज्य में राजीव गांधी नवोदय विद्यालयों के लिए अलग कैडर बनाने की दिशा में प्रक्रिया आगे बढ़ने लगी है। लंबे समय से शासन में लंबित इस प्रस्ताव में पद संरचना से लेकर प्रशासनिक प्रबंधन तक कई महत्वपूर्ण प्रावधान शामिल किए गए हैं। विभाग के अनुसार शासन द्वारा उठाई गई आपत्तियों का निपटारा कर लिया गया है और अब केंद्र सरकार की गाइडलाइन के अनुसार अंतिम रूप देने की तैयारी चल रही है। प्रस्तावित अलग कैडर में उप-प्रधानाचार्य और प्रधानाचार्य के पदों को पदोन्नति आधारित पद रखने का प्रावधान है, जिससे शिक्षकों के लिए करियर प्रगति के अवसर स्पष्ट होंगे। इसके साथ ही विद्यालयों की नियमित निगरानी और संचालन को सुदृढ़ करने के लिए राज्य स्तर पर एक विशेष प्रकोष्ठ (सेल) बनाने का प्रस्ताव है। इस प्रकोष्ठ का नेतृत्व अपर निदेशक, मुख्यालय करेंगे। उनके साथ प्रशासनिक संरचना के तहत एक संयुक्त निदेशक, एक उप निदेशक, एक वित्त नियंत्रक, लेखाकार तथा वरिष्ठ व कनिष्ठ सहायक तैनात किए जाएंगे।

यह प्रकोष्ठ राजीव गांधी नवोदय विद्यालयों की कार्यप्रणाली, शिक्षण व्यवस्था, वित्तीय प्रबंधन और गुणवत्ता नियंत्रण की निगरानी करेगा।प्रस्ताव में यह भी उल्लेख है कि डायट और एससीईआरटी के लिए अलग संवर्ग (कैडर) का गठन भी इन्हीं दिशा-निर्देशों के तहत किया जाएगा। शिक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, इन संस्थानों की विशिष्ट भूमिका को देखते हुए एक अलग कैडर न केवल उनकी कार्य क्षमता को बढ़ाएगा, बल्कि राज्य की शिक्षा व्यवस्था में भी सुधार लाने में मददगार साबित होगा। शासन में यह प्रस्ताव पिछले वर्ष से लंबित था, लेकिन अब विभाग के अनुसार अधिकांश आपत्तियाँ दूर कर दी गई हैं। ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि जल्द ही राजीव गांधी नवोदय विद्यालयों सहित डायट और एससीईआरटी के लिए स्वतंत्र संवर्ग बनाने की प्रक्रिया औपचारिक रूप से आगे बढ़ सकेगी।