दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण से उत्तराखंड रोडवेज बसों पर प्रतिबंध का खतरा..
उत्तराखंड: उत्तराखंड परिवहन निगम (रोडवेज) की दिल्ली-एनसीआर के लिए संचालित होने वाली बसें प्रदूषण बढ़ने के कारण प्रभावित हो सकती हैं। राजधानी क्षेत्र में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) बढ़ने से निगम केवल सीएनजी और वाल्वो बीएस-6 बसों का संचालन कर सकेगा। सामान्य दिनों में दिल्ली-एनसीआर रूट पर रोडवेज के विभिन्न डीपो से लगभग 400 बसें संचालित होती हैं, जिनमें साधारण, सीएनजी और वाल्वो बीएस-6 बसें शामिल हैं। बसों की संख्या घटने से निगम की आय पर सीधा असर पड़ेगा। रोडवेज को दिल्ली रूट से प्रतिदिन लगभग 72 लाख रुपये की आय होती है। बस संचालन कम होने से यह राजस्व कम हो सकता है और निगम को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ सकता है। बता दे कि दिल्ली सरकार ने प्रदूषण नियंत्रण के तहत सभी राज्यों को बीएस-6 और सीएनजी बसें ही संचालित करने के निर्देश पहले ही दे दिए थे। हालांकि, दो बार चेतावनी देकर संचालन की तिथि बढ़ा दी गई थी। लेकिन पटाखों और अन्य प्रदूषण कारकों के कारण दिल्ली-एनसीआर की हवा अब खतरनाक स्तर पर पहुंच गई है। इस स्थिति में केवल सीएनजी और वाल्वो बीएस-6 बसों का संचालन जारी रहेगा। इससे रोज़ाना बसों की संख्या में कटौती होगी और यात्रियों को भी असुविधा का सामना करना पड़ सकता है। रोडवेज प्रशासन ने कहा कि एयर क्वालिटी में सुधार होने तक ही सामान्य बस संचालन शुरू नहीं किया जाएगा।
ऐसे में उत्तराखंड रोडवेज की दिल्ली-एनसीआर के लिए संचालित होने वाली बसें प्रभावित हो सकती हैं। यदि दिल्ली सरकार बसों पर रोक लगाती है, तो उत्तराखंड से नौ वाल्वो एवं 150 सीएनजी बसें ही संचालित हो सकेंगी। देहरादून आइएसबीटी की बात की जाए, तो प्रतिदिन 100 बसें संचालित की जाती हैं। जिसमें 18 वाल्वो, 40 सीएनजी एवं अन्य साधारण बसें शामिल हैं। रोडवेज ने अलग-अलग समय पर बसें खरीदीं, लेकिन इनमें अधिकतर पहाड़ी रूट पर संचालित हैं। जबकि रोडवेज की कमाई का रूट दिल्ली है। जहां से हर माह करोड़ों की आय अर्जित की जाती है। अब दिल्ली में प्रदूषण बढ़ने से बसों पर रोक लगने के आसार हैं। वर्तमान में रोडवेज की तकरीबन 1,250 बसें संचालित की जा रही हैं। जिसमें से सबसे ज्यादा बसें दिल्ली रूट की हैं। दिल्ली-एनसीआर में साधारण बसों के प्रवेश पर यदि रोक लगती है, तो निगम की 60 प्रतिशत इनकम घट जाएगी। जिसकी भरपाई पहाड़ी रूटों से नहीं हो सकती। रोडवेज बसों को खरीदता रहा, लेकिन जिन कमाई वाले रूटों पर बीएस-6, सीएनजी बसें खरीदी जानी थी। उन बसों को नहीं खरीद पाया। जबकि रोडवेज के पास इलेक्ट्रिक बस एक भी उपलब्ध नहीं है।
