भारत-चीन सीमा पर जादूंग गांव में होम स्टे निर्माण का जायजा लेते डीएम आर्य..
उत्तराखंड: भारत-चीन सीमा से सटे उत्तरकाशी जिले का जादूंग गांव अब वाइब्रेंट विलेज योजना के तहत नई पहचान की ओर अग्रसर है। सीमांत क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा देने और स्थानीय लोगों को रोजगार से जोड़ने के उद्देश्य से गांव में तेजी से विकास कार्य चल रहे हैं। इसी क्रम में जिलाधिकारी प्रशांत आर्य रविवार को जादूंग पहुंचे, जहां उन्होंने विभिन्न निर्माण कार्यों की प्रगति का जायजा लिया और अधिकारियों को निर्धारित समयसीमा में गुणवत्तापूर्ण कार्य पूर्ण करने के निर्देश दिए। डीएम आर्य ने कहा कि वाइब्रेंट विलेज योजना के प्रथम चरण में पारंपरिक शैली में 6 होम स्टे का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है। वहीं द्वितीय चरण में 8 और होम स्टे बनाए जाएंगे। कुल 14 होम स्टे के निर्माण से सीमांत जादूंग गांव में आने वाले पर्यटकों के लिए आधुनिक आवासीय सुविधाएं उपलब्ध होंगी। उन्होंने कहा कि इस योजना से जहां पर्यटन गतिविधियों में वृद्धि होगी, वहीं स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर भी सृजित होंगे। डीएम ने अधिकारियों को यह भी निर्देश दिए कि निर्माण कार्यों में स्थानीय परंपरा और संस्कृति का समावेश सुनिश्चित किया जाए, ताकि जादूंग गांव को एक मॉडल टूरिज्म विलेज के रूप में विकसित किया जा सके।
बता दे कि भारत-चीन सीमा से सटे उत्तरकाशी जिले का जादूंग गांव जो साल 1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान खाली कराया गया था, अब एक बार फिर नई जिंदगी की ओर लौट रहा है। स्थानीय ग्रामीण भले ही युद्ध के बाद यहां बस नहीं पाए, लेकिन वे अब भी अपने देवस्थानों की पूजा के लिए हर साल इस गांव का रुख करते हैं। अब केंद्र की वाइब्रेंट विलेज योजना के तहत यह सीमांत गांव तेजी से विकास की राह पर अग्रसर है। जिलाधिकारी प्रशांत आर्य ने रविवार को जादूंग गांव पहुंचकर विकास कार्यों की प्रगति का निरीक्षण किया। उन्होंने बताया कि योजना के अंतर्गत बुनियादी ढांचे का विकास, पर्यटन सुविधाओं का विस्तार और गांव को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में काम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि निकट भविष्य में जादूंग गांव सीमांत पर्यटन का प्रमुख केंद्र बनेगा, जिससे न केवल स्थानीय संस्कृति और अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा के दृष्टिकोण से भी यह क्षेत्र महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
डीएम प्रशांत आर्य ने कहा कि यहां पारंपरिक शैली में 14 होम स्टे का निर्माण किया जा रहा है, जिससे सीमांत क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और स्थानीय युवाओं को रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे। निरीक्षण के बाद उन्होंने आईटीबीपी और सेना के अधिकारियों से मुलाकात कर सीमांत क्षेत्र के विकास और सुरक्षा से जुड़े विभिन्न विषयों पर चर्चा भी की। सीमांत गांव को आबाद करने के लिए वाइब्रेंट विलेज योजना शुरू की गई है, जिसके तहत गांव को बसाने के लिए बुनियादी सुविधाओं का तेजी से विकसित किया जा रहा है। जिसमें भारत-चीन सीमा पर बसा उत्तरकाशी का नेलांग और जादूंग गांव भी शामिल हैं, जो आने वाले समय में नए कलेवर में नजर आएंगे। ये दोनों साल 1962 के भारत-चीन युद्ध का गवाह भी रह चुके हैं। युद्ध के दौरान ग्रामीणों को अपने आशियाने छोड़कर जाना पड़ा था। तब से नेलांग और जादूंग गांव समेत आसपास की सीमाएं वीरान पड़ी है, लेकिन अब इन्हें फिर से बसाने की कवायद की जा रही है।