लावारिस कुत्तों के बधियाकरण और प्रबंधन को लेकर जिला पंचायत सक्रिय, पहली बार बनेगा नीति प्रस्ताव..

लावारिस कुत्तों के बधियाकरण और प्रबंधन को लेकर जिला पंचायत सक्रिय, पहली बार बनेगा नीति प्रस्ताव..

 

 

उत्तराखंड: देहरादून जिला पंचायत अब लावारिस कुत्तों की बढ़ती संख्या और उनसे जुड़े खतरों पर प्रभावी नियंत्रण की दिशा में ठोस कदम उठाने जा रही है। जिला पंचायत प्रशासन ने लावारिस कुत्तों के बधियाकरण और टीकाकरण के लिए एक व्यापक नीति (Policy) तैयार करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इस दिशा में बुधवार को होने वाली बोर्ड बैठक में इस मुद्दे पर प्रस्ताव पेश किया जाएगा। बैठक में जिला पंचायत की ओर से शासन से दिशा-निर्देश (Guidelines) जारी करने और एक मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) तैयार करने की मांग रखी जाएगी, ताकि ग्रामीण क्षेत्रों में भी कुत्तों के नियंत्रण, टीकाकरण और सुरक्षा से जुड़े कार्य सुनियोजित तरीके से किए जा सकें। बता दे कि देहरादून जिला पंचायत लावारिस कुत्तों से संबंधित नीति बनाने वाला प्रदेश का पहला जिला पंचायत बनने जा रहा है। अब तक यह जिम्मेदारी मुख्यतः नगर निगमों तक सीमित थी, लेकिन अब पंचायत स्तर पर भी इसे लेकर पहल शुरू हो रही है।

 

जिला पंचायत अधिकारियों के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों में भी अब लावारिस और पालतू कुत्तों की दहशत बढ़ती जा रही है। यह सिर्फ शहरी समस्या नहीं रही। हाल ही में 21 सितंबर को बिधोली आमवाला ओखल गांव में एक पालतू रॉटविलर ने एक महिला को गंभीर रूप से घायल कर दिया था। जब नगर निगम की टीम मौके पर पहुंची, तो पता चला कि यह इलाका निगम क्षेत्र से बाहर है, जिससे कार्रवाई में दिक्कत आई। अब जिला पंचायत की इस पहल से उम्मीद है कि ग्रामीण इलाकों में भी कुत्तों के प्रबंधन, सुरक्षा और जनजागरूकता से जुड़े कार्य व्यवस्थित रूप से किए जा सकेंगे। अधिकारियों का कहना है कि नीति लागू होने के बाद पंचायत स्तर पर पंजीकरण, टीकाकरण, बधियाकरण और नियंत्रण से जुड़ी जिम्मेदारी तय की जाएगी। साथ ही पशु चिकित्सा विभाग और स्थानीय निकायों के बीच बेहतर समन्वय स्थापित किया जाएगा ताकि ग्रामीणों को राहत मिल सके।

आपको बता दे कि ग्राम पंचायत स्तर पर अब तक किसी प्रकार की ठोस कार्रवाई नहीं हो पाती थी, क्योंकि नगर निगम की तरह वहां कुत्तों के प्रबंधन की कोई नीति अस्तित्व में नहीं थी। ऐसे में जब भी कोई घटना घटती थी, तो कार्रवाई की जिम्मेदारी संबंधित थाना या प्रशासनिक स्तर पर ही रह जाती थी। वहीं शहरी निकायों के पास पहले से ही अपनी नीति मौजूद है। नगर निगमों के अधीन क्षेत्रों में लावारिस कुत्तों के बधियाकरण और पालतू कुत्तों के पंजीकरण की जिम्मेदारी तय की गई है। इसके साथ ही यदि कोई व्यक्ति अपने पालतू कुत्ते का पंजीकरण नहीं कराता, टीकाकरण या बधियाकरण नहीं करवाता, या बिना पट्टे के कुत्ते को खुले में छोड़ता है, तो निगम उसके खिलाफ जुर्माना लगाने का अधिकार रखता है।

इसके साथ ही पालतू कुत्तों को खुले में शौच कराने पर भी नगर निगम ने जुर्माने का प्रावधान किया हुआ है। हाल ही में नगर निगम देहरादून की बोर्ड बैठक में पंजीकरण शुल्क और जुर्माने की दरों में बढ़ोतरी के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी गई है। अब जिला पंचायत की इस नई पहल के बाद उम्मीद की जा रही है कि ग्राम पंचायतों के पास भी कुत्तों के नियंत्रण, प्रबंधन और सुरक्षा से जुड़ी अपनी नीति होगी, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ती घटनाओं पर प्रभावी रोकथाम हो सकेगी। जल्द ही इस प्रस्ताव को शासन के पास भेजा जाएगा और दिशा-निर्देश मिलने के बाद नीति को अंतिम रूप देकर लागू किया जाएगा। इससे गांवों में भी पालतू और लावारिस कुत्तों पर नियंत्रण और जनसुरक्षा दोनों सुनिश्चित की जा सकेगी।