जानिए कौन होगा उत्तराखंड का नया डीजीपी..
उत्तराखंड: प्रदेश को जल्द ही नया डीजीपी मिलने वाला है। नए डीजीपी के चयन की प्रक्रिया शुरू हो गई है। पीएचक्यू की तरफ से तीन नाम का पैनल शासन को भेजे गए हैं। जिस पर आने वाले दिनों में ही यूपीएससी की तरफ से मुहर लगा दी जाएगी। आपको बता दें कि पुलिस महानिदेशालय की ओर से नए डीजीपी के लिए तीन नाम का पैनल शासन को भेज दिया गया है।
शासन इन तीन नामों को यूपीएससी को भेजेगा। जिसके बाद नवंबर में बैठक का आयोजन किया जाएगा। यूपीएससी के अध्यक्ष के नेतृत्व में होने वाली इस बैठक में एक नाम पर मुहर लगाई जाएगी। इस बैठक में उत्तराखंड के मुख्य सचिव समेत मौजूद पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार भी मौजूद रहेंगे
पुलिस महानिदेशालय की ओर से नए डीजीपी के लिए दीपम सेठ, पीवीके प्रसाद और अभिनव कुमार का नाम भेजा है। इस लिस्ट में शामिल तीन नामों में से एक दीपम सेठ 1995 बैच के अधिकारी हैं। जो कि फिलहाल प्रतिनियुक्ति पर हैं। उन्होंने प्रदेश के कई जिलों में कप्तान के तौर पर काम किया है। गढ़वाल रेंज के प्रभारी रहने के साथ ही उन्होंने एडीजी लॉ एंड ऑर्डर जैसी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी संभाली हैं। शासन में अपर सचिव गृह के तौर पर भी काम किया।
लिस्ट में शामिल दूसरा नाम एडीजी पीवीके प्रसाद का है जो कि उत्तराखंड में सेवाएं दे रहे हैं। पीवीके प्रसाद 1995 बैच के अधिकारी हैं। जो कि वर्तमान में एडीजी पीएसी हैं। इसके साथ ही वो कई जिलों की कप्तान के तौर पर जिम्मेदारी संभाल चुके हैं। इसके साथ ही लंबे समय तक आईजी जेल के तौर पर काम किया है। लिस्ट में तीसरा नाम एडीजी अभिनव कुमार का नाम शामिल है। अभिनव कुमार 1995 बैच के अधिकारी हैं और इस सरकार में काफी पावरफुल रहे हैं। सीएम के विशेष सचिव के साथ ही इंटेलिजेंस की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। इसके साथ ही वो देहरादून और हरिद्वार जैसे बड़े जिलों के कप्तान रहे हैं।
नवंबर में हो रहा है डीजीपी अशोक कुमार का रिटायरमेंट..
आपको बता दें कि उत्तराखंड के डीजीपी अशोक कुमार का नवंबर में रिटायरमेंट हो रहा है। उससे पहले नए डीजीपी की चयन प्रक्रिया तेज कर दी गई है। दरअसल नियम के अनुसार डीजीपी बनने के लिए वो अधिकारी पात्र होते थे जो 30 साल की सेवा पूरी कर चुके हों। लेकिन उत्तराखंड में इस शर्त को कोई भी आईपीएस अधिकारी पूरा नहीं कर रहा था। ऐसी स्थिति देश के कई राज्यों में भी बनी हुई थी। ऐसे में यूपीएससी ने इन नियमों में बदलाव करते हुए 30 से घटाकर 25 साल किया है। ऐसे में अब पीएचक्यू ने तीन अधिकारियों के नाम शासन को भेजे हैं। अब देखना ये होगा कि किसके नाम परमुहर लगेगी।