बद्रीनाथ मास्टर प्लान पर विवाद- पौराणिक शिलाओं से छेड़छाड़ का आरोप, विरोध में मुंडन कर जताया रोष..

बद्रीनाथ मास्टर प्लान पर विवाद- पौराणिक शिलाओं से छेड़छाड़ का आरोप, विरोध में मुंडन कर जताया रोष..

 

 

 

उत्तराखंड: बद्रीनाथ धाम में मास्टर प्लान के तहत चल रहे पुनर्निर्माण कार्यों को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। हक-हकूकधारियों ने आरोप लगाया है कि निर्माण के नाम पर बद्रीनाथ की पौराणिक धार्मिक शिलाओं से छेड़छाड़ की जा रही है। इसके विरोध में स्थानीय हक-हकूकधारी सड़कों पर उतर आए और सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। विरोध स्वरूप कई लोगों ने मुंडन कराते हुए सरकार की रीति-नीति पर गहरा आक्रोश जताया। आंदोलनकारियों ने धार्मिक स्थलों की गरिमा बनाए रखने की मांग करते हुए मास्टर प्लान की समीक्षा की मांग की है।

हक-हकूकधारियों का कहना है कि बदरीनाथ धाम की पवित्रता और धार्मिक महत्व को बनाए रखने के लिए सरकार को कड़े कदम उठाने होंगे। उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगों को नहीं माना गया तो वे आगे भी विरोध प्रदर्शन जारी रखेंगे। उनका ये भी कहना है कि पौराणिक धार्मिक शिलाओं से छेड़छाड़ कतई ठीक नहीं है। कई लोगों ने मुंडन कराते हुए अपनी नाराजगी प्रकट की और चेतावनी दी कि अगर उनकी मांगों पर गंभीरता से विचार नहीं किया गया, तो आंदोलन को और उग्र किया जाएगा। हक-हकूकधारियों ने सरकार से मांग की है कि धार्मिक स्थलों की पौराणिकता और परंपराओं को सुरक्षित रखा जाए और निर्माण कार्यों में किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ को तुरंत रोका जाए।

बद्रीनाथ धाम में मास्टर प्लान के तहत कार्य कर रही निर्माण कंपनी पर पौराणिक धार्मिक शिलाओं से छेड़छाड़ के गंभीर आरोप लगे हैं। स्थानीय हक-हकूकधारियों और नागरिकों ने इस कार्रवाई के विरोध में जोरदार प्रदर्शन किया। 18 अगस्त को हुए विरोध प्रदर्शन में आक्रोशित लोगों ने अपना मुंडन कराते हुए सरकार के खिलाफ नाराजगी जताई। उनका आरोप है कि धाम की पौराणिक शिलाओं को तोड़ा और हटाया जा रहा है, जिससे बद्रीनाथ की धार्मिक और सांस्कृतिक गरिमा को ठेस पहुंच रही है। हक-हकूकधारियों का कहना है कि यदि सरकार ने जल्द इस विषय पर संज्ञान नहीं लिया तो आंदोलन और तेज किया जाएगा। लोगों ने मांग की है कि धार्मिक महत्व वाले स्थलों की रक्षा के लिए ठोस और संवेदनशील कदम उठाए जाएं।

उनका कहना है कि मास्टर प्लान के तहत जो बद्रीनाथ धाम में निर्माण कार्य चल रहे हैं, उससे पौराणिक महत्व विलुप्त हो रहे हैं। जो यहां की पौराणिक शैली और धार्मिक शिलाएं हैं, उन्हें लगातार नुकसान पहुंचाया जा रहा है। जिससे वहां के लोग, व्यापारी और हक हकूकधारी खासे नाराज हैं। हक-हकूकधारी, पंडा समाज, तीर्थ पुरोहित और स्थानीय कारोबारियों का कहना है कि मास्टर प्लान के तहत भले ही बद्रीनाथ में विकास कार्य हों, लेकिन जो पौराणिक मान्यताएं हैं, वो धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अपने आप में महत्वपूर्ण हैं। ऐसे में इन पौराणिक शिलाओं को संरक्षित किया जाए. प्रदर्शनकारियों ने चेताया कि भले ही बद्रीनाथ में विकास कार्य जरूरी हों, लेकिन धार्मिक मान्यताओं के साथ कोई समझौता नहीं किया जा सकता। उन्होंने सरकार से मांग की है कि इन पौराणिक शिलाओं को संरक्षित किया जाए और भविष्य में ऐसे कार्यों में धार्मिक विशेषज्ञों की राय भी ली जाए।