धराली आपदा के बाद प्रभावितों के पुनर्वास के लिए तीन सदस्यीय समिति गठित..

धराली आपदा के बाद प्रभावितों के पुनर्वास के लिए तीन सदस्यीय समिति गठित..

 

 

 

उत्तराखंड: उत्तरकाशी जिले के धराली गांव में 5 अगस्त को आई भीषण आपदा में खीरगंगा से आए सैलाब ने पूरे गांव को मलबे में समा दिया था। इस आपदा ने कई परिवारों को उजाड़ दिया और आजीविका का संकट भी खड़ा कर दिया। सीएम पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर आपदा प्रभावित परिवारों के पुनर्वास और स्थायी आजीविका सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकार ने तीन सदस्यीय उच्चस्तरीय समिति का गठन किया है। इस समिति की अध्यक्षता सचिव राजस्व डॉ. सुरेंद्र नारायण पांडेय करेंगे। समिति में यूकाडा (उत्तराखंड कैंपिंग एंड एडवेंचर डेवलपमेंट अथॉरिटी) के सीईओ डॉ. आशीष चौहान और अपर सचिव वित्त हिमांशु खुराना सदस्य बनाए गए हैं। यह समिति प्रभावित परिवारों के पुनर्वास, आवास, बुनियादी सुविधाओं और स्थायी रोजगार से जुड़ी संभावनाओं पर रिपोर्ट तैयार कर सरकार को सौंपेगी। सरकार का कहना है कि समिति की सिफारिशों के आधार पर प्रभावितों को शीघ्र राहत और दीर्घकालिक पुनर्वास योजना मुहैया कराई जाएगी।

5 अगस्त को उत्तरकाशी के धराली गांव में आई आपदा के बाद प्रभावित परिवारों के पुनर्वास और स्थायी आजीविका सुनिश्चित करने के लिए गठित तीन सदस्यीय समिति ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है। समिति ने 2023 में ज्योर्तिमठ भू-धंसाव प्रभावितों को मिले राहत पैकेज और पुनर्वास मॉडल का अध्ययन कर धराली के लिए अपनी सिफारिशें दी हैं। समिति ने आकलन किया है कि इस आपदा में कुल 115 परिवार प्रभावित हुए हैं। समिति ने न केवल पुनर्वास बल्कि आजीविका और स्थायी आवास व्यवस्था पर भी विशेष सुझाव दिए हैं। रिपोर्ट तैयार करने से पहले समिति के सदस्यों ने प्रभावित परिवारों, जनप्रतिनिधियों और जिला प्रशासन के अधिकारियों से भी बातचीत की। इस दौरान स्थानीय लोगों ने पुनर्वास के लिए जांगला, लंका और कोपांग क्षेत्रों में बसाने का सुझाव दिया। समिति की सिफारिशों के आधार पर प्रदेश सरकार अब धराली आपदा प्रभावितों के लिए दीर्घकालिक पुनर्वास योजना का खाका तैयार करेगी। सरकार का कहना है कि प्रभावित परिवारों को स्थायी आवास और रोजगार उपलब्ध कराना उसकी प्राथमिकता है।

प्रदेश सरकार ने ज्योर्तिमठ भू-धंसाव प्रभावित परिवारों के पुनर्वास के लिए विशेष पैकेज तैयार किया था। इस पैकेज के तहत प्रभावितों को भूमि और भवनों के नुकसान की एवज में वन टाइम सेटलमेंट (एकमुश्त समाधान) का विकल्प दिया गया। इसके साथ ही सरकार ने “घर के बदले घर” और “भूमि के बदले भूमि” की नीति पर भी जोर दिया। प्रभावितों को घर बनाने के लिए अधिकतम 100 वर्ग मीटर भूमि और पुनर्वास के लिए चिह्नित स्थान पर अधिकतम 75 वर्ग मीटर क्षेत्रफल में डुप्लेक्स भवन निर्माण की सुविधा उपलब्ध कराने का विकल्प दिया गया।सरकार का कहना है कि इस योजना का उद्देश्य प्रभावित परिवारों को न केवल सुरक्षित आवास उपलब्ध कराना है, बल्कि उनके जीवन स्तर को बेहतर बनाते हुए उन्हें स्थायी पुनर्वास की सुविधा प्रदान करना भी है।