पंचायत चुनाव के बाद अब जिला पंचायत अध्यक्ष और प्रमुख चुनाव की तैयारी तेज..
उत्तराखंड: उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की प्रक्रिया पूरी होने के बाद अब राज्य निर्वाचन आयोग जिला पंचायत अध्यक्ष और क्षेत्र पंचायत प्रमुखों के चुनाव कराने की दिशा में सक्रिय हो गया है। आयोग को हाईकोर्ट के निर्देशों के अनुसार पंचायत चुनाव के परिणाम आने के बाद न्यूनतम समय में इन पदों के लिए चुनाव कराने हैं। ऐसे में अब आयोग शासन से आरक्षण सूची के अंतिम अनुमोदन का इंतजार कर रहा है। राज्य निर्वाचन आयुक्त सुशील कुमार ने स्पष्ट किया है कि जैसे ही जिला पंचायत अध्यक्ष पद के आरक्षण की अंतिम सूची शासन से प्राप्त होगी, वैसे ही आयोग चुनाव कार्यक्रम घोषित करेगा।
उन्होंने कहा कि पूरी प्रक्रिया को पारदर्शी और निष्पक्ष तरीके से संपन्न कराया जाएगा। राज्य में कई स्थानों पर जिला पंचायत सदस्य चुने जा चुके हैं और अब सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि किस क्षेत्र से कौन अध्यक्ष या प्रमुख चुना जाएगा। संभावित दावेदारों ने अपनी रणनीति बनानी शुरू कर दी है, वहीं राजनीतिक दल भी अपने समर्थित उम्मीदवारों को लेकर सक्रिय हो गए हैं। सूत्रों के अनुसार आयोग की ओर से चुनाव की अधिसूचना जल्द ही जारी की जा सकती है, जिसमें नामांकन, जांच, नाम वापसी और मतदान की तिथियों की घोषणा होगी। इसके साथ ही सुरक्षा व्यवस्था, आदर्श आचार संहिता और चुनाव प्रक्रिया से जुड़ी अन्य तैयारियों को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है। राज्य निर्वाचन आयोग का जोर पारदर्शी चुनाव प्रणाली पर है, ताकि जनप्रतिनिधि जनता के विश्वास पर खरे उतर सकें और ग्रामीण क्षेत्रों के विकास में अपनी भागीदारी निभा सकें।
त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की प्रक्रिया पूरी होने के बावजूद उत्तराखंड में ग्राम प्रधान समेत ग्राम पंचायत सदस्य के हजारों पद अब भी रिक्त हैं। राज्य निर्वाचन आयोग के अनुसार प्रदेश भर में 30,000 से अधिक पदों पर किसी कारणवश मतदान नहीं हो सका या नामांकन ही नहीं हुआ। अब आयोग इन रिक्त पदों को भरने की दिशा में सक्रिय हो गया है। निर्वाचन आयोग ने सभी जिलाधिकारियों से अपने-अपने जिले में रिक्त पदों की अद्यतन जानकारी मांगी है, ताकि पुनर्मतदान की रूपरेखा तैयार की जा सके। राज्य निर्वाचन आयुक्त सुशील कुमार ने बताया कि रिक्त पदों के लिए जल्द ही अलग से चुनाव कार्यक्रम घोषित किया जाएगा।
आयोग का लक्ष्य है कि ग्राम स्तर तक जनप्रतिनिधि चुने जाएं, जिससे विकास कार्यों में रफ्तार आ सके। बताया जा रहा है कि कई ग्राम पंचायतों में नामांकन नहीं होने, उम्मीदवारों की अयोग्यता, निर्विरोध चयन और तकनीकी कारणों से मतदान नहीं हो पाया था। ऐसे में अब ये पद खाली रह गए हैं, जिन्हें भरना जरूरी है। राज्य निर्वाचन आयोग की इस पहल से गांवों में पंचायत प्रणाली को मजबूती मिलने की उम्मीद है, और शेष पदों पर योग्य जनप्रतिनिधि चुनकर स्थानीय विकास को गति देने की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम उठाया जाएगा।