भवन नक्शा पास प्रक्रिया आसान, ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के तहत आर्किटेक्ट को मिले नए अधिकार..
उत्तराखंड: प्रदेश में अब कम जोखिम वाले भवनों के निर्माण की प्रक्रिया और आसान हो गई है। ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देने के तहत राज्य सरकार ने बड़ा निर्णय लेते हुए आर्किटेक्ट्स को भवन मानचित्र (मैप) पास करने का अधिकार दे दिया है। अब आवासीय निर्माण के लिए लोगों को प्राधिकरण के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे, बल्कि आर्किटेक्ट द्वारा प्रमाणित नक्शा ही मान्य होगा। बस इसकी सूचना आवश्यक दस्तावेजों के साथ प्राधिकरण में जमा करानी होगी। आवास विभाग ने इस व्यवस्था को लागू करने के लिए चार सितंबर 2019 के शासनादेश में संशोधन किया है। प्रमुख सचिव आर. मीनाक्षी सुंदरम ने संशोधित आदेश जारी करते हुए कहा कि भवन मानचित्र स्वीकृति की जटिल और लंबी प्रक्रिया को सरल एवं समयबद्ध बनाने के लिए यह बदलाव जरूरी था।नए नियमों के लागू होने से न केवल आम नागरिकों को राहत मिलेगी, बल्कि बिल्डरों और डेवलपर्स को भी तेज़ी से काम आगे बढ़ाने का अवसर मिलेगा। शासन के अनुसार अनावश्यक औपचारिकताएं और सरकारी दफ्तरों के चक्कर कम होने से निर्माण कार्यों में तेजी आएगी तथा निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा।
नई व्यवस्था के अनुसार, कम जोखिम वाले भवनों के लिए एससी-1 (जिसमें आर्किटेक्ट, इंजीनियर यह घोषित करता है कि नक्शा सभी नियमों के अनुसार तैयार है और निर्माण की जिम्मेदारी उसकी होगी) और एससी-2 (जिसमें स्ट्रक्चरल इंजीनियर भवन की संरचनात्मक सुरक्षा का प्रमाण देता है) फॉर्म के साथ प्रस्तुत नक्शे को मान्यता प्राप्त आर्किटेक्ट स्वीकृत कर सकेगा। आर्किटेक्ट से स्वीकृति के बाद संबंधित प्राधिकरण को सिर्फ सूचना देनी होगी।
ये होगा लाभ..
संशोधित नियमों के अनुसार आर्किटेक्ट द्वारा स्वीकृत नक्शे की सूचना प्राधिकरण को भेजने के बाद यदि 15 दिनों के भीतर कोई आपत्ति नहीं आती, तो आवेदक निर्माण कार्य शुरू कर सकता है। सरकार का कहना है कि इस व्यवस्था से नक्शा पास कराने में लगने वाला समय कई गुना कम होगा। अब लोगों को न तो दफ्तरों के बार-बार चक्कर लगाने होंगे और न ही मंजूरी का लंबा इंतजार करना पड़ेगा। आवास विभाग का मानना है कि नई प्रणाली निर्माण प्रक्रियाओं में गति लाएगी तथा आम नागरिकों और बिल्डरों दोनों को राहत देगी। ये नई व्यवस्था न केवल समय की बचत करेगी, बल्कि पूरी प्रक्रिया में पारदर्शिता भी बढ़ेगी। संशोधित गाइडलाइन लागू होने के बाद राज्य में भवन निर्माण के इच्छुक लोगों के लिए मंजूरी प्रक्रिया काफी सुगम हो जाएगी।
