जुलाई से शुरू होगी आयुर्वेद पैरामेडिकल कोर्स में प्रवेश प्रक्रिया, दवा बिक्री लाइसेंस को लेकर परिषद का बड़ा प्रस्ताव..

जुलाई से शुरू होगी आयुर्वेद पैरामेडिकल कोर्स में प्रवेश प्रक्रिया, दवा बिक्री लाइसेंस को लेकर परिषद का बड़ा प्रस्ताव..

 

 

उत्तराखंड: आयुर्वेद डायटीशियन कोर्स शुरू करने की तैयारी, भारतीय चिकित्सा परिषद को जल्द ही शासन से अनुमति मिलने की उम्मीद हैं। प्रदेश में आयुर्वेदिक शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र में बड़ा कदम उठाया जा रहा है। शैक्षिक सत्र 2025–26 से उत्तराखंड में आयुर्वेद डायटीशियन कोर्स शुरू करने की तैयारी की जा रही है। यह जानकारी भारतीय चिकित्सा परिषद से जुड़े सूत्रों ने दी है। परिषद को इस कोर्स के लिए जल्द ही शासन से अनुमति मिलने की उम्मीद है। यह कोर्स आयुर्वेद आधारित आहार विज्ञान और पोषण पर केंद्रित होगा, जिससे युवाओं को स्वास्थ्य क्षेत्र में नए अवसर मिलेंगे। इसके साथ ही सरकार एलोपैथी मॉडल की तर्ज पर आयुर्वेद फार्मासिस्टों को दवा बिक्री का लाइसेंस देने की दिशा में भी काम कर रही है। प्रस्ताव पर मंथन चल रहा है और प्रक्रिया पूरी होने पर 300 से अधिक आयुर्वेद फार्मासिस्टों को रोजगार मिलने की संभावना है। शासन स्तर पर मंजूरी के बाद यह योजना प्रदेश के आयुर्वेद सेक्टर को मजबूती देने में अहम भूमिका निभा सकती है। साथ ही, यह कदम युवाओं को स्थानीय स्तर पर प्रशिक्षित करने और स्वावलंबी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास होगा।

उत्तराखंड में आयुष शिक्षा प्रणाली को अधिक व्यावहारिक और रोजगारोन्मुख बनाने की दिशा में तेजी से कदम उठाए जा रहे हैं। भारतीय चिकित्सा परिषद की रजिस्ट्रार नर्वदा गुसाईं ने जानकारी दी कि परिषद की ओर से आयुष शिक्षा में सुधार से संबंधित प्रस्ताव शासन को भेजे गए हैं। इन प्रस्तावों का उद्देश्य आधुनिक आवश्यकताओं के अनुरूप आयुर्वेद शिक्षा को सशक्त बनाना है, जिससे छात्रों को बेहतर प्रशिक्षण और रोजगार के अवसर मिल सकें। इसके साथ ही आयुर्वेद पैरामेडिकल पाठ्यक्रम आयुर्वेद फार्मेसी, नर्सिंग, पंचकर्म सहायक, योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा सहायक पर कार्यशाला कराई जाएगी। आयुष शिक्षा को व्यावसायिक और जनोपयोगी बनाने के लिए परिषद प्रतिबद्ध है। शासन से स्वीकृति मिलते ही कार्यशालाओं और नए पाठ्यक्रमों पर काम शुरू किया जाएगा।

जुलाई माह से इन पाठ्यक्रमों में नए शैक्षिक सत्र के लिए प्रवेश प्रक्रिया शुरू की जाएगी। पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए अर्हताओं में छूट के लिए प्रस्ताव शासन को भेजा गया है। उन्होंने बताया कि एलोपैथी चिकित्सा में फार्मासिस्टों को दवाइयां बिक्री के लिए लाइसेंस जारी किए जाते हैं। जबकि आयुर्वेद में अभी तक ऐसी व्यवस्था नहीं है। इसके लिए परिषद ने आयुर्वेद फार्मासिस्टों को दवा बिक्री का अधिकार देने के लिए प्रस्ताव सरकार को भेजा है। यदि सरकार की ओर से अनुमति मिलती है तो प्रदेश के 300 से अधिक फार्मासिस्टों को रोजगार प्राप्त होगा। आयुर्वेद शिक्षा और सेवाओं को सशक्त बनाने के लिए परिषद लगातार प्रयासरत है। प्रवेश अर्हता में लचीलापन और फार्मासिस्टों को बिक्री का अधिकार मिलने से क्षेत्र में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। यह पहल उत्तराखंड को आयुर्वेद हब के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है, जो युवाओं को पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों में व्यावसायिक अवसर उपलब्ध कराने में सहायक होगी।