देहरादून/ऋषिकेश । सात दिवसीय ‘अंतर्राष्ट्रीय योग महोत्सव’ के चैथे दिन शनिवार सुबह राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से.नि.) ने बतौर मुख्य अतिथि प्रथम सत्र में प्रतिभाग किया। इस दौरान उन्होंने प्रथम सत्र में आयोजित योग कक्षाओं का भी निरीक्षण किया एवं योग प्रशिक्षकों से विभिन्न आसनों की जानकारी प्राप्त की। राज्यपाल ने अंतर्राष्ट्रीय योग महोत्सव 2023 के आयोजन हेतु मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज समेत पर्यटन विभाग को इस आयोजन की बधाई देते हुए कहा कि इस योग महोत्सव की गूंज पूरे विश्व तक जानी चाहिए।
राज्यपाल ने कहा कि भारत में योग, साधना, संस्कृति का आपस में बेजोड़ संबंध है संस्कृत शब्द का अर्थ सांसो के कृत है, यानी कि प्रणायाम के दौरान जब संस्कृत के शब्दों का प्रयोग करते हैं तो हमारे मन मस्तिष्क और आत्मा को शांति प्रदान होती है। राज्यपाल ने पर्यटन विभाग को योग महोत्सव का सोशल मीडिया के जरिए व्यापक प्रचार प्रसार करने करने के भी निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि भारतीय योग की शक्ति का प्रमाण पूरा विश्व देख चुका है इसीलिए भारत के अनुरोध पर हर वर्ष 21 जून को विश्व योगा दिवस मनाया जाता है।
सचिव पर्यटन सचिन कुर्वे ने राज्यपाल को आयोजन संबंधी विस्तृत जानकारी दी। इस दौरान योग विशेषज्ञ दिलराज प्रीत कौर एवं डॉ. प्रिया अहूजा ने विभिन्न योगासनों की प्रस्तुति दी। इस दौरान पद्मश्री डॉ. रजनीकांत, उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सुनील जोशी समेत बड़ी संख्या में योग साधक मौजूद रहे।
वहीं दिन भर चलने वाले सत्रों में आर्ट ऑफ लिविंग की ओर से प्रांगण में मौजूद लोगों को शरीर और मन को शांति प्रदान करने के साथ ही निरोगी रहने हेतु प्रणायाम एवं आसान की विस्तृत जानकारी दी गई। योग महोत्सव में प्रतिदिन आयुर्वेद महाविद्यालय की ओर से नाड़ी परीक्षण सत्र का आयोजन किया जा रहा है। नाड़ी परीक्षण में लोग रूचि भी दिखा रहे हैं। हास्य योग सत्र के दौरान डॉ. मनोज रंगढ़ ने बताया कि आधुनिक समय में मुस्कान लुप्त होती जा रही है। इससे हमारे तनाव भरे जीवन का पता चलता है। तनाव को कम करना अंतिम संरचना को मजबूत करना है। इससे मुक्ति सांसों को मजबूत करती है और चेहरे पर अनोखी आभा का संचार करती है।
प्रो. वीके अग्निहोत्री, डॉ0 मन्नत मारवाह, डॉ वैदेही देवधर और उर्वशी चुग ने पैनल परिचर्चा सत्र में भाग लेते हुए कहा कि शारीरिक स्वास्थ्य, मानसिक सुख व आध्यात्मिक प्रगति के लिए योग महत्वपूर्ण है। योग से बीमारियों को दूरकर खुद को स्वस्थ रख सकते हैं। योग से नैतिकता का विकास होता है और शाश्वत मूल्यों को विकसित किया जा सकता है। यदि शरीर और मन को स्वस्थ रखना है तो हमें योग की शरण में जाना होगा। योग से आत्म शुद्धि होती है। वहीं डॉ0 अवधेश शर्मा ने प्रांगण में मौजूद लोगों को वज्रासन, धनुरासन और कपालभाति जैसे योग के माध्यम से पाचन तंत्र को मजबूत बनाने की संपूर्ण जानकारी दी। अंतर्राष्ट्रीय योग महोत्सव के चैथे दिन सांयकालीन में इस्कॉन द्वारा सुन्दर भक्ति संकीर्तनों की सुन्दर प्रस्तुति दी गई।