देहरादून में महिला सशक्तिकरण का बड़ा मिशन, 7 हजार महिलाओं को बनाया जाएगा ‘लखपति दीदी’..
उत्तराखंड: देहरादून जिले की सात हजार से अधिक महिलाओं के जीवन में बड़ा बदलाव आने वाला है। भारत सरकार ने इस वर्ष स्वयं सहायता समूह (SHG) से जुड़ी इन महिलाओं को ‘लखपति दीदी’ बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इसके तहत महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने, उनकी आय बढ़ाने और आर्थिक स्थिरता प्रदान करने के लिए विभाग तेज गति से काम कर रहा है। विभाग की ओर से महिलाओं को स्किल ट्रेनिंग, वित्तीय जागरूकता, उद्यमिता प्रशिक्षण, बाजार उपलब्धता और रोजगार अवसरों से जोड़ने पर विशेष जोर दिया जा रहा है। महिलाओं की आय में सुधार के लिए समय-समय पर समीक्षा की जा रही है, ताकि हर महिला लक्ष्य तक पहुंच सके।
पिछले वर्ष भी देहरादून जिले के लिए 12 हजार से अधिक महिलाओं को लखपति दीदी बनाने का लक्ष्य रखा गया था। विभाग की नियमित मॉनिटरिंग, ई-बुक कीपर्स के माध्यम से आय का रिकॉर्ड तैयार करने और लोकोस ऐप पर डेटा अपलोड करने से साल के अंत में पता चला कि 12 हजार से ज्यादा महिलाएं एक लाख रुपये से अधिक की वार्षिक आय हासिल कर चुकी हैं। इस वर्ष भी विभाग का प्रयास है कि महिलाओं को घरेलू उद्योग, कृषि आधारित कार्य, पशुपालन, स्थानीय उत्पादों, फूड प्रोसेसिंग और छोटे व्यवसायों से जोड़कर उन्हें आर्थिक रूप से मजबूत किया जाए। प्रशासन का मानना है कि यह पहल न केवल महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाएगी, बल्कि परिवारों और स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूती देगी।
सबसे ज्यादा लक्ष्य विकासनगर का
महिलाओं को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने और आत्मनिर्भरता के पथ पर आगे बढ़ाने के लिए जिला प्रशासन और विभागों ने वित्तीय वर्ष 2025–26 में बड़ा अभियान शुरू किया है। पिछले साल की 12 हजार लखपति दीदियों के बाद अब इस वर्ष 7680 नई महिलाओं को लखपति बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। लक्ष्य तय करने के साथ ही यह भी सुनिश्चित करने पर जोर दिया जा रहा है कि पहले से लखपति बन चुकी महिलाओं की आय में किसी प्रकार की कमी न आए और उनकी आर्थिक स्थिति निरंतर मजबूत बनी रहे। इस बार सबसे बड़ा लक्ष्य विकासनगर ब्लॉक को दिया गया है, जहां 2270 महिलाओं को लखपति दीदी बनाने की तैयारी चल रही है। सहसपुर ब्लॉक में 2060, डोईवाला में 1355, चकराता में 735, कालसी में 650 और रायपुर ब्लॉक में 610 महिलाओं को इस योजना से आर्थिक रूप से सशक्त बनाना है। विभाग की ओर से सभी ब्लॉकों में प्रशिक्षण कार्यक्रम, उद्यमिता विकास, वित्तीय सहयोग, बाजार से जोड़ने और आधुनिक तकनीक के उपयोग को बढ़ावा देने पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है, ताकि महिलाएं अपनी वार्षिक आय एक लाख रुपये से अधिक तक पहुंचा सकें।
अधिकारियों के अनुसार पिछले वर्ष की तरह इस वर्ष भी महिलाओं की आय पर निरंतर निगरानी रखी जाएगी। डेटा प्रबंधन की व्यवस्था को और मजबूत किया जा रहा है, ताकि समय-समय पर आय की समीक्षा की जा सके और उन महिलाओं को अतिरिक्त सहयोग मिले जो लक्ष्य तक पहुंचने में चुनौतियों का सामना कर रही हैं। जिला प्रशासन का मानना है कि यह प्रयास न केवल महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाएगा बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था और पारिवारिक विकास में भी महत्वपूर्ण योगदान देगा। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत महिलाओं को अधिक से अधिक काम दिए जाने के लिए कृषि विभाग, पशु चिकित्सा विभाग, मत्स्य विभाग, उद्यान विभाग आदि को निर्देश जारी किए गए हैं कि आत्मनिर्भर बनने में महिलाओं की मदद की जाए। इसके साथ ही ग्रामोत्थान रीप परियोजना, मुख्यमंत्री उद्यमशाला योजना सहित अन्य योजना का लाभ स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को मिले इसका प्रयास किया जा रहा है।
