एस्मा और ‘नो वर्क–नो पे’ के खिलाफ भड़के कर्मचारी संगठन, बोले- तानाशाही से नहीं डरेंगे..

एस्मा और ‘नो वर्क–नो पे’ के खिलाफ भड़के कर्मचारी संगठन, बोले- तानाशाही से नहीं डरेंगे..

 

 

 

उत्तराखंड: राज्य सरकार द्वारा छह माह के लिए एस्मा लागू कर कर्मचारी आंदोलनों पर रोक लगाने और दूसरी ओर उपनल कर्मियों पर नो वर्क-नो पे का फैसला लागू किए जाने के बाद कर्मचारी संगठनों ने मोर्चा खोल दिया है। संगठनों ने सरकार के इस कदम को तानाशाही करार देते हुए साफ कहा है कि वे किसी भी हाल में पीछे नहीं हटेंगे और मिलकर इस लड़ाई को आगे बढ़ाएंगे। मिनिस्टीरियल फेडरेशन के प्रांतीय अध्यक्ष मुकेश बहुगुणा ने सरकार पर सीधा हमला बोलते हुए कहा कि शासन तानाशाही रवैया अपना रहा है। उन्होंने कहा कि मिनिस्टीरियल फेडरेशन ऐसे शासनादेशों से घबराने वाला नहीं है। यदि सरकार ईमानदारी से संवाद करे तो हड़ताल की नौबत ही न आए। बहुगुणा ने आरोप लगाया कि कुछ अधिकारी तुगलकी आदेश जारी कर संगठन और सरकार के बीच टकराव बढ़ाना चाहते हैं, जिसे कर्मचारी किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि सरकार का यह रुख कर्मचारियों में असंतोष बढ़ाएगा और इससे हालात और जटिल हो सकते हैं। कर्मचारी संगठनों ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार ने आदेश वापस नहीं लिए और बातचीत बहाल नहीं की, तो आंदोलन और तेज किया जाएगा।

उत्तराखंड विद्युत अधिकारी कर्मचारी संयुक्त संघर्ष मोर्चा भी अब उपनल कर्मचारियों की हड़ताल के समर्थन में खुलकर सामने आ गया है। मोर्चा ने सीएम को पत्र भेजकर मांग उठाई है कि उपनल संविदा कर्मियों के नियमितिकरण और समान वेतन को लेकर पूर्व में की गई घोषणाओं पर जल्द कार्रवाई की जाए, ताकि अल्प वेतन पाने वाले कर्मचारी राहत महसूस कर सकें और कड़ाके की ठंड में जारी यह आंदोलन समाप्त हो सके। मोर्चा ने साफ कहा है कि उपनल कर्मचारियों की मांगें न्यायसंगत हैं और सरकार को संवेदनशीलता दिखाते हुए तुरंत समाधान निकालना चाहिए। संगठन ने यह भी चेतावनी दी कि यदि सरकार ने आंदोलनरत कर्मचारियों के खिलाफ किसी प्रकार की उत्पीड़नात्मक कार्रवाई की, तो विद्युत अधिकारी-कर्मचारी मोर्चा भी आंदोलन में शामिल होने के लिए बाध्य होगा। मोर्चा का समर्थन मिलने से उपनल कर्मचारियों के आंदोलन को और मजबूती मिलती दिख रही है, जबकि सरकार पर दबाव भी तेजी से बढ़ रहा है।