उत्तराखंड हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, नर्सिंग ऑफिसर भर्ती में 42 वर्ष से अधिक आयु वाले अभ्यर्थियों को राहत..
उत्तराखंड: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने नर्सिंग ऑफिसर भर्ती परीक्षा 2024 को लेकर महत्वपूर्ण आदेश जारी किया है। वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की एकल पीठ ने अमिता विलियम और अन्य याचिकाकर्ताओं की याचिका पर सुनवाई करते हुए उत्तराखंड मेडिकल सर्विस सलेक्शन बोर्ड (यूएमएसएसबी) को निर्देश दिए हैं कि 11 मार्च 2024 को जारी विज्ञापन के तहत याचिकाकर्ताओं के लिए आयु गणना की कटऑफ डेट 1 जुलाई 2020 मानी जाएगी। कोर्ट के इस निर्णय से अभ्यर्थियों को बड़ी राहत मिली है। याचिकाकर्ताओं ने बोर्ड द्वारा राजकीय मेडिकल कॉलेजों में 1455 नर्सिंग ऑफिसर पदों के लिए जारी विज्ञापन की कुछ शर्तों को चुनौती दी थी। उनकी मुख्य मांग थी कि आयु की गणना और अन्य पात्रता शर्तों में संशोधन किया जाए ताकि योग्य उम्मीदवार भर्ती प्रक्रिया में शामिल हो सकें। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि उम्मीदवारों के अधिकारों की रक्षा की जानी चाहिए और योग्य अभ्यर्थियों को उनके हक से वंचित नहीं रखा जा सकता। इस फैसले के बाद अब बोर्ड को निर्देशित किया गया है कि वह कटऑफ डेट के अनुसार अभ्यर्थियों की योग्यता और पात्रता सुनिश्चित करे। इस फैसले के बाद अभ्यर्थियों ने राहत की सांस ली है और कहा कि कोर्ट का आदेश भर्ती प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और न्यायसंगत बनाएगा।
मामले में याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ताओं ने कोर्ट को कहा कि विज्ञापन में आयु गणना की कटऑफ डेट पहली जुलाई 2023 निर्धारित की गई थी। इसके कारण याचिकाकर्ता, जिनकी अधिकतम आयु सीमा 42 वर्ष थी, ओवर एज हो गए थे। उन्होंने बताया कि याचिकाकर्ता उत्तराखंड बोर्ड ऑफ टेक्निकल एजुकेशन द्वारा 12 दिसंबर 2020 और 2 फरवरी 2021 को जारी विज्ञापनों के समय आयु सीमा के भीतर थे, क्योंकि उस समय कटऑफ डेट 1 जुलाई 2020 थी। याचिकाकर्ताओं का तर्क था कि वर्तमान विज्ञापन में निर्धारित कटऑफ डेट उन्हें अनावश्यक रूप से वंचित कर रही थी। हाईकोर्ट ने उनकी आपत्ति को मानते हुए आयु गणना की पुरानी कटऑफ डेट को लागू करने का निर्देश दिया। कोर्ट के इस फैसले से 1455 नर्सिंग ऑफिसर पदों के लिए आवेदन कर रहे कई योग्य अभ्यर्थियों को भर्ती प्रक्रिया में शामिल होने का मार्ग खुला। इस निर्णय से अभ्यर्थियों ने राहत की सांस ली है और कहा कि यह आदेश भर्ती प्रक्रिया को पारदर्शी और न्यायसंगत बनाने में मदद करेगा। एकलपीठ ने यह पाया कि भर्ती प्रक्रिया बार-बार रद होने या पूरी न हो पाने के लिए याचिकाकर्ताओं को दोषी नहीं ठहराया जा सकता। चूंकि पहले विज्ञापित रिक्तियां आज तक नहीं भरी गई हैं, इसलिए चयन प्रक्रिया पूरी करने में हुई देरी का खामियाजा उम्मीदवारों नहीं क्यों भुगतेंगे। कोर्ट ने कहा नियमों में बदलाव के बावजूद, जब पिछली भर्तियों में आयु निर्धारण की तिथि पहली जुलाई 2020 थी, तो उन्हीं पदों को दोबारा विज्ञापित करने पर याचिकाकर्ताओं के लिए भी वही कटआफ डेट लागू होनी चाहिए।
याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता का कहना कि पहले भी न्यायालय की एक समन्वय पीठ ने आयु निर्धारण की कटऑफ डेट 1 जुलाई 2020 तय की थी। इसके साथ ही, उत्तराखंड मेडिकल सर्विस सलेक्शन बोर्ड के अधिवक्ता ने स्वीकार किया कि वर्तमान याचिकाओं में शामिल मामला पूर्व में तय किए गए मामलों के समान ही है। हाईकोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि अंतरिम आदेशों के तहत जिन अभ्यर्थियों को भर्ती प्रक्रिया में शामिल होने की अनुमति दी गई थी, उनका परिणाम अब बोर्ड द्वारा घोषित किया जाए। इस निर्णय से उन सभी मेहनती उम्मीदवारों को बड़ी राहत मिली है, जो सरकारी प्रक्रियाओं में विलंब के कारण नौकरी से वंचित होने के जोखिम में थे। अभ्यर्थियों का कहना है कि कोर्ट का यह आदेश भर्ती प्रक्रिया को पारदर्शी, न्यायसंगत और उम्मीदवारों के हित में बनाएगा। विशेषज्ञों के अनुसार यह फैसला 1455 नर्सिंग ऑफिसर पदों के लिए योग्य अभ्यर्थियों को उनके अधिकार दिलाने में निर्णायक साबित होगा और भर्ती प्रक्रिया में विलंब से उत्पन्न समस्याओं को कम करेगा।