पेंशन न मिलने से नाराज सेवानिवृत्त शिक्षक भूख हड़ताल पर, सीईओ पर उत्पीड़न का आरोप..

पेंशन न मिलने से नाराज सेवानिवृत्त शिक्षक भूख हड़ताल पर, सीईओ पर उत्पीड़न का आरोप..

उत्तराखंड: पेंशन संबंधी मामलों के समाधान में हो रही देरी से नाराज अशासकीय माध्यमिक शिक्षक संघ ने सोमवार को मुख्य शिक्षा अधिकारी (सीईओ) कार्यालय परिसर में भूख हड़ताल शुरू कर दी। शिक्षकों का कहना है कि वर्षों की सेवा के बाद भी उन्हें अंतिम वेतन के आधार पर पेंशन का लाभ नहीं मिल रहा है, जिससे सेवानिवृत्त शिक्षकों को आर्थिक और मानसिक परेशानी झेलनी पड़ रही है। रिटायर्ड शिक्षकों ने सीईओ कार्यालय के बाहर धरना देते हुए शिक्षा विभाग के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। उनका कहना है कि बार-बार ज्ञापन देने और पत्राचार करने के बावजूद विभाग ने अब तक उनकी मांगों पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है। शिक्षकों ने चेतावनी दी कि जब तक उनकी पेंशन की गणना अंतिम वेतनमान के आधार पर नहीं की जाती, तब तक वे अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल जारी रखेंगे। इस मौके पर संघ के पदाधिकारियों ने कहा कि यह आंदोलन शिक्षकों के सम्मान और हक की लड़ाई है। उन्होंने कहा कि सरकार और विभाग को जल्द इस मुद्दे पर संज्ञान लेकर आदेश जारी करना चाहिए, अन्यथा आंदोलन को और तेज किया जाएगा। धरना स्थल पर बड़ी संख्या में रिटायर्ड शिक्षक और संघ से जुड़े सदस्य मौजूद रहे। शिक्षकों ने एक स्वर में कहा कि वे अब पीछे हटने वाले नहीं हैं और न्याय मिलने तक आंदोलन जारी रहेगा।

पेंशन मामलों में हो रही अनदेखी और भेदभावपूर्ण रवैये के विरोध में सोमवार से सभी वरिष्ठ सेवानिवृत्त शिक्षक मुख्य शिक्षा अधिकारी (सीईओ) कार्यालय में भूख हड़ताल पर बैठ गए। शिक्षकों ने प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि तीन साल से पेंशन के लिए दर-दर भटकने के बावजूद उन्हें न्याय नहीं मिला। रिटायर्ड शिक्षकों का कहना है कि उत्तराखंड के 13 जिलों में केवल अल्मोड़ा जिले के अशासकीय शिक्षकों के साथ यह अन्याय किया जा रहा है, जबकि बाकी जिलों में पेंशन का भुगतान नियमित रूप से किया जा रहा है। शिक्षकों ने आरोप लगाया कि मुख्य शिक्षा अधिकारी की मनमानी और उपेक्षात्मक रवैये के कारण उन्हें भूख हड़ताल जैसे कठोर कदम उठाने पर मजबूर होना पड़ा है। शिक्षक संघ के सदस्यों ने चेतावनी दी है कि यदि इस आंदोलन के दौरान किसी भी शिक्षक की तबीयत बिगड़ती है या कोई अनहोनी होती है, तो इसकी पूरी जिम्मेदारी मुख्य शिक्षा अधिकारी की होगी। भूख हड़ताल पर बैठे शिक्षकों ने कहा कि वे वर्षों तक शिक्षा सेवा में समर्पण के साथ कार्य करते रहे, लेकिन सेवानिवृत्ति के बाद उन्हें उनका हक नहीं दिया जा रहा। उन्होंने मांग की कि सरकार तत्काल हस्तक्षेप कर अल्मोड़ा जिले में लंबित पेंशन प्रकरणों का निस्तारण कराए। धरना स्थल पर रिटायर्ड शिक्षकों ने सरकार और शिक्षा विभाग के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। उन्होंने स्पष्ट कहा कि जब तक पेंशन का भुगतान अंतिम वेतनमान के आधार पर नहीं किया जाता, तब तक आंदोलन जारी रहेगा।

अनशन पर बैठे पूर्ण सिंह अलमिया ने कहा कि 2023 से ये प्रकरण चल रहा है। 2023 में कुछ सेवानिवृत्त शिक्षकों को तो अंतिम वेतन के आधार पर पेंशन दी गई, लेकिन अधिकतर को नहीं दी गई। उन्होंने कहा कि जब तक उन्हें अंतरिम वेतन के आधार पर पेंशन नहीं दी जाती, उनका आमरण अनशन जारी रहेगा।वहीं डॉ. महेंद्र सिंह मेहरा ने कहा कि पिछले तीन साल से अशासकीय शिक्षक, मुख्य शिक्षा अधिकारी से अंतिम आहरित वेतन के आधार पर पेंशन निर्धारित करने की मांग कर रहे हैं।लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। वहीं शिक्षा अधिकारी को सोमवार से आमरण अनशन करने की बात कही गई थी, लेकिन वह मीडिया को झूठ बोलकर केवल धरना देने का पत्र मिलने की बात कह रहे हैं। उन्होंने कहा कि झूठ बोलने वाले मुख्य शिक्षा अधिकारी को तुरंत हटाया जाना चाहिए। वहीं उन्होंने कहा कि अनशन में बैठे वरिष्ठ शिक्षण अनेक बीमारियों से ग्रस्त हैं, ऐसे में अगर कोई अनहोनी होती है तो उसके लिए वह जिम्मेदार होंगे। इधर मुख्य शिक्षा अधिकारी अत्रेश सयाना ने कहा कि 2017 के शासनादेश के आधार पर इनको इसका लाभ नहीं दिया जाना है। इसी नियमावली के अनुसार कार्रवाई की गई है। शासन और निदेशालय स्तर से जो भी आदेश प्राप्त होंगे, इस अनुसार कार्रवाई की जाएगी।