आईआईटी रुड़की में शुरू हुई IAHS की 12वीं वैज्ञानिक सभा, जल संसाधन प्रबंधन और जलवायु बदलाव पर वैश्विक चर्चा..

आईआईटी रुड़की में शुरू हुई IAHS की 12वीं वैज्ञानिक सभा, जल संसाधन प्रबंधन और जलवायु बदलाव पर वैश्विक चर्चा..

 

उत्तराखंड: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) रुड़की में सोमवार को अंतरराष्ट्रीय जल विज्ञान संघ (IAHS) की 12वीं वैज्ञानिक सभा का भव्य उद्घाटन किया गया। इस अंतरराष्ट्रीय आयोजन में दुनिया भर से आए प्रमुख वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं और नीति निर्माताओं ने हिस्सा लिया। सभा का मुख्य उद्देश्य सतत जल संसाधन प्रबंधन, जल विज्ञान के नवीनतम शोध कार्यों और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने की रणनीतियों पर विचार-विमर्श करना है। कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन ने दीप प्रज्वलित कर किया। उन्होंने कहा कि जल विज्ञान अनुसंधान आज की सबसे महत्वपूर्ण जरूरतों में से एक है, क्योंकि बढ़ती जनसंख्या और जलवायु परिवर्तन के चलते जल संकट एक वैश्विक चुनौती बन चुका है।

उन्होंने आईआईटी रुड़की और आईएएचएस की सराहना करते हुए कहा कि दोनों संस्थान जल प्रबंधन और वैज्ञानिक अनुसंधान को समाज से जोड़ने का बेहतरीन उदाहरण प्रस्तुत कर रहे हैं। मुख्य सचिव ने कहा कि वैज्ञानिक समुदाय को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके शोध केवल प्रयोगशालाओं तक सीमित न रहें, बल्कि नीति निर्माण और ग्रामीण क्षेत्रों तक उनका सीधा लाभ पहुंचे। इस दौरान आईआईटी रुड़की के निदेशक, जल संसाधन विभाग के प्रोफेसर, आईएएचएस के अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधि और विभिन्न देशों से आए विशेषज्ञ भी मौजूद रहे। इस वैज्ञानिक सभा के दौरान विभिन्न सत्रों में जल संसाधन संरक्षण, नदी बेसिन प्रबंधन, हाइड्रोलॉजिकल मॉडलिंग, आपदा पूर्व चेतावनी प्रणाली और जलवायु परिवर्तन अनुकूलन पर विशेषज्ञ अपने शोध और अनुभव साझा करेंगे। कार्यक्रम कई दिनों तक चलेगा और इसमें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जल विज्ञान के क्षेत्र में चल रहे प्रमुख प्रोजेक्ट्स पर भी चर्चा होगी।

मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचे मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन ने कार्यक्रम का उद्घाटन किया और कहा कि “जल विज्ञान जलवायु परिवर्तन के प्रति लचीलापन, आपदा जोखिम न्यूनीकरण और सतत विकास के लिए अत्यंत आवश्यक है।  उन्होंने कहा कि आईआईटी रुड़की जैसे संस्थान वैश्विक ज्ञान को स्थानीय समाधानों से जोड़ने का कार्य कर रहे हैं, जिससे समुदायों और नीति निर्माताओं दोनों को सशक्त बनाया जा रहा है। मुख्य सचिव ने कहा कि आईएएचएस की यह वैज्ञानिक सभा नवाचार, सहयोग और ज्ञान के आदान-प्रदान के माध्यम से वैश्विक जल चुनौतियों के समाधान के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। उन्होंने कहा कि यह आयोजन भारत की जल विज्ञान अनुसंधान एवं सतत जल प्रबंधन में अग्रणी भूमिका को और सुदृढ़ करता है। इस दौरान आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रो. के.के. पंत, जल संसाधन विभाग के प्रोफेसर, अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों और विभिन्न देशों से आए प्रतिनिधियों ने जल संरक्षण और जलवायु परिवर्तन अनुकूलन पर अपने विचार साझा किए। कार्यक्रम के आगामी सत्रों में नदी बेसिन प्रबंधन, जलवायु अनुकूलन रणनीतियों, हाइड्रोलॉजिकल मॉडलिंग और तकनीकी नवाचारों पर विशेष चर्चाएं होंगी। आयोजन का उद्देश्य वैश्विक शोध को नीति निर्माण और जमीनी समाधान से जोड़ना है, जिससे जल संकट जैसी चुनौतियों से प्रभावी ढंग से निपटा जा सके।

IAHS वैज्ञानिक सभा की कार्यवाही का किया विमोचन..

आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रो. के.के. पंत ने इस अवसर पर कहा कि “मुझे पूरा विश्वास है कि यह छह दिवसीय सभा नए विचारों, दीर्घकालिक साझेदारियों और परिवर्तनकारी नवाचारों को प्रेरित करेगी, जो जल विज्ञान और समाज दोनों के लिए योगदान देंगी। उन्होंने कहा कि जल प्रबंधन से जुड़ी वैश्विक चुनौतियों का समाधान तभी संभव है जब वैज्ञानिक समुदाय और नीति निर्माता एक साझा मंच पर संवाद करें। इस मौके पर IAHS वैज्ञानिक सभा की कार्यवाही (Proceedings) का विमोचन भी किया गया, जो इस सप्ताह भर चलने वाले आयोजन की औपचारिक शुरुआत का प्रतीक है। सम्मेलन के दौरान विभिन्न तकनीकी सत्रों, शोध प्रस्तुतियों, पोस्टर डिस्प्ले और वैज्ञानिक प्रदर्शनी का आयोजन किया जाएगा, जिनमें जलवायु परिवर्तन, नदी बेसिन प्रबंधन, जल गुणवत्ता और आपदा पूर्व चेतावनी जैसे विषयों पर गहन चर्चा होगी। कार्यक्रम में मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन, अंतरराष्ट्रीय जल विशेषज्ञ, नीति निर्माता और देश-विदेश के शोधकर्ता शामिल हुए। इस आयोजन को भारत में सतत जल प्रबंधन और जलविज्ञान अनुसंधान के क्षेत्र में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।