देहरादून में विरासत महोत्सव का आगाज, उस्ताद अमजद अली खान समेत कई कलाकार करेंगे प्रस्तुति..

देहरादून में विरासत महोत्सव का आगाज, उस्ताद अमजद अली खान समेत कई कलाकार करेंगे प्रस्तुति..

 

उत्तराखंड: देहरादून की सांस्कृतिक राजधानी कहलाने वाली घाटी एक बार फिर कला, संगीत और परंपरा के रंगों में रंगने जा रही है। राजधानी में ‘विरासत आर्ट एंड हेरिटेज महोत्सव–2025’ का आयोजन इस वर्ष 4 अक्टूबर से 18 अक्टूबर तक भव्य रूप से किया जाएगा। इस महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड की राज्यपाल करेंगी, जबकि इसकी शुरुआत विश्व प्रसिद्ध सरोद वादक उस्ताद अमजद अली खान के सुरमयी सरोद वादन से होगी। विरासत महोत्सव उत्तराखंड की पहचान बन चुका है, जो हर वर्ष भारतीय और वैश्विक संस्कृति, कला, संगीत, नृत्य और शिल्प को एक ही मंच पर एकत्र करता है। यह आयोजन न केवल कलाकारों और दर्शकों के बीच संवाद का अवसर प्रदान करता है, बल्कि पारंपरिक विरासत और लोक संस्कृति को नई पीढ़ी तक पहुँचाने का सेतु भी बनता है। इस वर्ष के आयोजन में देश-विदेश से नामी कलाकार, शिल्पकार और लोकगायक हिस्सा लेंगे। शास्त्रीय संगीत, लोकनृत्य, चित्रकला, हस्तशिल्प, पारंपरिक व्यंजन और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के जरिए देहरादून का यह आयोजन पूरे उत्तर भारत में कला प्रेमियों के लिए आकर्षण का केंद्र बनेगा। महोत्सव के दौरान शहर के कई हिस्सों में सांस्कृतिक झलकियां, कला प्रदर्शनियां, नाट्य प्रस्तुतियां और लोक संगीत की शामें आयोजित की जाएंगी।

विरासत संस्था के संस्थापक आर.के. सिंह ने कहा कि यह महोत्सव भारत की समृद्ध कलात्मक परंपराओं और धरोहर को प्रदर्शित करने वाला एक प्रमुख आयोजन है। यह कलाकारों और शिल्पकारों को अपनी लोक और शास्त्रीय कलाओं को प्रस्तुत करने का एक मंच प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि इस महोत्सव की शुरुआत वर्ष 1995 में ओएनजीसी के सहयोग से हुई थी। विरासत का उद्देश्य भारत की विविध संस्कृति, संगीत, नृत्य, कला, शिल्प और इतिहास की अनूठी विरासत को एक मंच पर लाना है। हर साल देशभर से कलाकार, संगीतकार और शिल्पकार इसमें भाग लेते हैं, जिससे उत्तराखंड की राजधानी देहरादून सांस्कृतिक गतिविधियों का केंद्र बन जाती है। विरासत महोत्सव न सिर्फ कला प्रेमियों के लिए एक उत्सव है, बल्कि यह भारत की पारंपरिक और आधुनिक संस्कृति के संगम का प्रतीक भी है।

उन्होंने कहा इस 15 दिवसीय महोत्सव के मुख्य आकर्षणों में हेरिटेज शोकेस सत्र शामिल हैं। जहां देहरादून के स्कूलों और कॉलेजों के युवा कलाकार अपनी प्रतिभाओ का प्रदर्शन करेंगे। कुशल कारीगरों के नेतृत्व में शिल्प कार्यशालाओं, हेरिटेज क्विज़ प्रतियोगिता, शिल्प ट्रेसर हंटिंग समेत तमाम अन्य गतिविधियों में भी शामिल होंगे। यही नहीं विरासत के दौरान दिव्यांग छात्रों के लिए विशेष सत्र भी आयोजित किए जाते हैं। महोत्सव में मंच को भारत के ऐतिहासिक स्थल, कर्कोटा राजवंश के कश्मीरी राजा ललितादित्य मुक्तापीड़ की ओर से बनाए गए निर्मित सूर्य मंदिर की छवि में बनाया गया है। यह कश्मीरी वास्तुकला का एक महत्वपूर्ण उदाहरण है। जम्मू और कश्मीर के अनंतनाग में केहरीबल गांव के पास एक पठार पर स्थित है। इस महोत्सव में विशिष्ट हथकरघा और शिल्प, मिट्टी के बर्तन, लकड़ी का काम, धातु शिल्प, चमड़ा शिल्प और विभिन्न राज्यों के कई अन्य स्टॉल भी लगाये जाएंगे।

इसके साथ ही महोत्सव में पूरे भारत और पड़ोसी देशों की कई लोक और शास्त्रीय कलाएं प्रदर्शित की जाएंगी।जिसमें उप्रेती बहनों की ओर से छोलिया और अन्य लोक नृत्य और लोकगीत, उत्तराखंड का प्रसिद्ध लोकनाट्य चक्रव्यूह, गुजरात, गोवा, श्रीलंका, किर्गिस्तान और बेलारूस के लोक संगीत और नृत्य, तमिलनाडु का भरतनाट्यम, आंध्र प्रदेश का कुचिपुड़ी और कथक शामिल है। इस कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण एक शानदार वाद्य संगीत कार्यक्रम होगा।जिसमें हिंदुस्तानी और कर्नाटक शास्त्रीय संगीत के साथ ही ग़ज़ल, सूफ़ी और कर्नाटक संगीत की प्रस्तुतियां शामिल होंगी।