प्रधानाचार्य सीमित विभागीय परीक्षा पर शिक्षक संगठन आमने-सामने, उपवास रखकर जताया विरोध..

प्रधानाचार्य सीमित विभागीय परीक्षा पर शिक्षक संगठन आमने-सामने, उपवास रखकर जताया विरोध..

 

 

उत्तराखंड: गांधी जयंती के मौके पर राजकीय शिक्षक संघ और समर्थक मंच के बीच शिक्षा नीति को लेकर विवाद सामने आया। राजकीय शिक्षक संघ ने सीमित विभागीय परीक्षा रद्द कर शत प्रतिशत पदोन्नति की मांग को लेकर दो घंटे का उपवास रखा, जबकि समर्थक मंच ने परीक्षा के समर्थन में सांकेतिक उपवास किया। संघ के प्रांतीय कोषाध्यक्ष लक्ष्मण सजवाण और जिला अध्यक्ष कुलदीप कंडारी जीआईसी नालापानी में दोपहर 12 बजे से दो बजे तक उपवास पर बैठे। उन्होंने कहा कि सभी स्तरों पर शत प्रतिशत पदोन्नति की जाए, प्रधानाचार्य विभागीय सीधी भर्ती रद्द की जाए और वार्षिक स्थानांतरण प्रक्रिया बहाल की जाए। इससे पहले स्कूल में राष्ट्रीय कार्यक्रम के तहत सुबह 7 बजे से दोपहर 12 बजे तक देशभक्ति और सामाजिक सेवा पर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए गए। शिक्षक संघों का यह प्रदर्शन शिक्षा विभाग की नीतियों और पदोन्नति प्रक्रिया को लेकर चल रहे विवाद की नई कड़ी के रूप में देखा जा रहा है। स्थानीय सूत्रों का कहना है कि आने वाले दिनों में दोनों पक्षों के बीच और चर्चाएं होने की संभावना है।

प्रधानाचार्य सीमित विभागीय परीक्षा कराने की मांग को लेकर परीक्षा समर्थक मंच ने राज्य के विभिन्न जिलों में सांकेतिक उपवास रखा। साथ ही मंच ने स्वैच्छिक रक्तदान कार्यक्रम का आयोजन भी किया। समर्थक मंच के प्रांतीय महासचिव डॉ. कमलेश कुमार मिश्र ने कह कि यह अभियान जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से चलाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस अभियान के तहत प्रदेश भर में 10 हजार से अधिक यूनिट रक्त एकत्रित करने का लक्ष्य रखा गया है। डॉ. मिश्र ने कहा कि इस प्रकार के सामाजिक और स्वास्थ्य संबंधित प्रयासों से समाज में सहयोग और संवेदनशीलता बढ़ती है। मंच ने भविष्य में भी ऐसी गतिविधियों को निरंतर चलाने का संकल्प लिया है। कार्यक्रम में अध्यक्ष दिनेश चंद्र पांडे, प्रांतीय संयोजक बृजेश पवार, आकाश चौहान, अनिल राणा, द्वारिका प्रसाद पुरोहित, दीपक गौड़, योगेंद्र सिंह नेगी ,जयेंद्र सिंह, गंभीर शाह, नरेंद्र सिंह बिष्ट आदि शामिल रहे। प्रधानाचार्य सीमित विभागीय परीक्षा और पदोन्नति के मसले पर सात अक्टूबर को हाईकोर्ट में सुनवाई है। शिक्षक संगठनों को इस दिन आने वाले फैसले का इंतजार है। इस फैसले के बाद ही संगठनों की ओर से आगे की रणनीति बनाई जाएगी।