उत्तराखंड में नदियों को प्रदूषण मुक्त करने की पहल, सभी 13 जिलों में नोडल ऑफिसर नियुक्त..
उत्तराखंड: नदियों और जलाशयों को प्रदूषण से मुक्त रखने के लिए नमामि गंगे कार्यक्रम अब और अधिक सशक्त कदम उठा रहा है। इसी क्रम में राज्य के सभी 13 जिलों में नोडल अधिकारियों की नियुक्ति की गई है। इन अधिकारियों को सीवेज प्रबंधन, परियोजनाओं की निगरानी और नए प्रोजेक्ट्स की पहचान की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गई है। कार्यक्रम के तहत प्रत्येक जिले में अब सीवेज से संबंधित एक्शन प्लान तैयार किया जाएगा। न केवल गंगा, बल्कि उसकी सहायक नदियों, झीलों, तालाबों और अन्य जलाशयों को भी प्रदूषण से बचाने के लिए नई योजनाएं बनाई जा रही हैं। अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे डीपीआर (डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) तैयार करें और योजनाओं की समय-समय पर प्रगति की समीक्षा करें। केंद्रीय सचिव के निर्देशन में नोडल अधिकारियों की नियुक्ति का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि जिलों में कोई संपर्क सूत्र हो, जो जल निगम और जल संसाधन विभाग के साथ मिलकर परियोजनाओं का प्रभावी अनुश्रवण कर सके। ये अधिकारी सीवेज ट्रीटमेंट, प्रदूषण नियंत्रण और जल संरक्षण से संबंधित प्रोजेक्ट्स को आगे बढ़ाने में प्रमुख भूमिका निभाएंगे। नमामि गंगे मिशन के अंतर्गत यह पहल न केवल गंगा नदी को प्रदूषण मुक्त करने की दिशा में अहम साबित होगी, बल्कि प्रदेश की अन्य प्रमुख नदियों और जल स्रोतों को भी साफ-सुथरा और संरक्षित करने का मार्ग प्रशस्त करेगी। अधिकारियों का मानना है कि नोडल ऑफिसर्स की तैनाती के बाद योजनाओं की तेजी से निगरानी होगी और प्रदूषण नियंत्रण के प्रयासों को और अधिक प्रभावी बनाया जा सकेगा।
नमामि गंगे के निदेशक विशाल मिश्रा ने कहा कि नोडल अधिकारियों की नियुक्ति से जमीनी स्तर पर निगरानी आसान हो जाएगी। इससे न केवल वर्तमान योजनाओं को सही दिशा में ले जाने में मदद मिलेगी, बल्कि भविष्य के लिए नए और प्रभावी प्रोजेक्ट्स भी बेहतर ढंग से तैयार किए जा सकेंगे। मिश्रा ने कहा कि इस कदम से उम्मीद है कि गंगा और उसकी सहायक नदियों के साथ-साथ अन्य जलाशयों, झीलों और तालाबों को भी स्वच्छ रखने के प्रयासों को मजबूती मिलेगी। उनका कहना है कि नमामि गंगे का लक्ष्य केवल गंगा नदी को पुनर्जीवित करना ही नहीं, बल्कि पूरे पारिस्थितिकी तंत्र को संरक्षित और सुरक्षित रखना है। नोडल ऑफिसर्स की नियुक्ति उसी दिशा में एक ठोस और निर्णायक कदम है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस पहल से प्रदेश के जल संसाधनों के संरक्षण और प्रदूषण नियंत्रण की दिशा में तेजी और पारदर्शिता आएगी। साथ ही योजनाओं के समयबद्ध क्रियान्वयन में भी गति मिलेगी।
2027 में हरिद्वार में आयोजित होने वाले अर्धकुंभ मेले को ध्यान में रखते हुए गंगा और यमुना की सहायक नदियों को पूरी तरह स्वच्छ रखने के लिए नमामि गंगे कार्यक्रम ने नई रणनीति पर काम शुरू कर दिया है। इस दिशा में जिलों से सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स (STP) और नालों की टेपिंग से संबंधित विस्तृत प्रस्ताव मांगे गए हैं। कार्यक्रम अधिकारी विशाल मिश्रा ने कहा कि इस बार अभियान को और सशक्त बनाते हुए गंगा के उद्गम स्थल गोमुख से लेकर हरिद्वार तक एक दर्जन से ज्यादा शहरों को चिन्हित किया गया है। इन क्षेत्रों में STP के निर्माण, मौजूदा प्लांट्स के उन्नयन और नालों की टेपिंग के जरिए प्रदूषण रोकने की योजनाओं पर विशेष फोकस रहेगा। उन्होंने कहा कि यह प्रयास केवल गंगा नदी तक सीमित नहीं है, बल्कि यमुना और उसकी सहायक नदियों के साथ-साथ अन्य प्रमुख जलाशयों को भी प्रदूषण मुक्त बनाने पर केंद्रित है। मिश्रा ने बताया कि जिलों से प्रस्ताव एकत्र कर उन्हें सरकार के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा और स्वीकृति मिलने पर इन्हें युद्धस्तर पर लागू किया जाएगा। विशेषज्ञों का कहना है कि अर्धकुंभ जैसे वैश्विक आयोजन के दौरान गंगा की स्वच्छता और प्रवाह को बनाए रखना न सिर्फ धार्मिक आस्था का प्रश्न है, बल्कि प्रदेश की पर्यावरणीय छवि और पर्यटन विकास से भी सीधा जुड़ा हुआ है। नमामि गंगे कार्यक्रम की यह पहल इसी दिशा में निर्णायक कदम साबित हो सकती है।