उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय ने दो कॉलेजों पर गिराया गाज, प्रथम चरण की काउंसलिंग से बाहर किया..
उत्तराखंड: उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय ने संबद्धता शुल्क जमा न करने वाले कॉलेजों के खिलाफ बड़ा कदम उठाते हुए राज्य के एकमात्र होम्योपैथिक कॉलेज समेत दो कॉलेजों को आयुष-यूजी की प्रथम चरण की काउंसलिंग से बाहर कर दिया है। इन संस्थानों पर संबद्धता शुल्क के लाखों रुपये बकाया हैं। विश्वविद्यालय प्रशासन ने साफ कर दिया है कि शुल्क जमा करने के बाद ही इन कॉलेजों को काउंसलिंग प्रक्रिया में शामिल किया जाएगा। विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने कहा कि यूजीसी रेगुलेशन-2009 और उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय परिनियमावली-2015 के अनुसार राज्य की सभी व्यावसायिक संस्थाओं के लिए हर वर्ष संबद्धता लेना अनिवार्य है। इसके लिए संस्थाओं को बैंक ड्राफ्ट के साथ संबद्धता प्रस्ताव विश्वविद्यालय को भेजना होता है। इसके बाद कुलपति द्वारा गठित तीन सदस्यीय निरीक्षण मंडल संबंधित संस्थाओं का निरीक्षण करता है। इस दौरान केंद्रीय परिषद आयुर्वेद चिकित्सा (CCIM) और केंद्रीय परिषद होम्योपैथी (CCH) द्वारा तय मानकों की जांच की जाती है। निरीक्षण रिपोर्ट के आधार पर ही विश्वविद्यालय संबद्धता प्रदान करता है। अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि नियमों का उल्लंघन करने वाले संस्थानों के प्रति किसी भी तरह की ढिलाई नहीं बरती जाएगी। इस कदम से छात्रों और अभिभावकों को भी एक स्पष्ट संदेश गया है कि विश्वविद्यालय गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।
काउंसलिंग के नोडल अधिकारी डॉ. उमापति सी. बैरागी ने जानकारी दी कि रुद्रपुर स्थित चंदोला होम्योपैथिक कॉलेज पर लगभग 5.5 लाख रुपये का बकाया है। कॉलेज प्रशासन ने शपथ पत्र देकर एक माह में शुल्क चुकाने का वादा किया था, लेकिन भुगतान के लिए नवंबर माह का चेक दिया, जिसके चलते उन्हें बाहर कर दिया गया। इसी तरह उत्तरकाशी के मंजीरा देवी आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल पर 28 लाख रुपये का बकाया होने के कारण उसे भी काउंसलिंग से बाहर रखा गया है। विश्वविद्यालय के कुलसचिव नरेंद्र सिंह की ओर से पहले ही सभी कॉलेजों को नोटिस जारी कर शुल्क जमा करने के निर्देश दिए गए थे। जिन 19 कॉलेजों ने समय पर शुल्क जमा किया, उन्हें काउंसलिंग में शामिल कर लिया गया है। बता दे कि 16 सितंबर की शाम से आवेदन प्रक्रिया शुरू हो गई है और सीट मैट्रिक्स भी जारी कर दी गई है। विश्वविद्यालय प्रशासन ने स्पष्ट कर दिया है कि जो भी संस्थान नियमों का पालन नहीं करेंगे, उन्हें प्रवेश प्रक्रिया में शामिल नहीं किया जाएगा।