सैकड़ों सड़क परियोजनाएं अटकीं, दूसरे चरण के पुनर्निर्माण को नहीं मिल रही मंजूरी..
उत्तराखंड: उत्तराखंड में पांच किलोमीटर से अधिक लंबाई वाली सड़कों के दूसरे चरण के पुनर्निर्माण को मंजूरी नहीं मिल पा रही है। इससे सैकड़ों सड़क परियोजनाओं का काम अधर में लटका हुआ है। लोक निर्माण विभाग (PWD) के प्रमुख अभियंता राजेश शर्मा ने कहा कि विभाग के पास पुनर्निर्माण कार्यों के लिए बजट बेहद सीमित है। यही वजह है कि लंबे मार्गों के लिए दूसरे चरण की स्वीकृति रोक दी गई है।
उत्तराखंड में आपदा की मार झेल रही कई सड़कें खस्ताहाल स्थिति में पहुंच चुकी हैं। सड़कों पर जगह-जगह मलबा जमा है, वहीं कई स्थानों पर भूधंसाव भी हुआ है। बरसात के दौरान सड़कों पर बने गड्ढे हादसों का कारण बन रहे हैं। प्रदेश में पांच किलोमीटर से अधिक लंबाई वाली सड़कों का न तो डामरीकरण हो पा रहा है और न ही पुनर्निर्माण। सल्ट से विधायक महेश जीना का कहना है कि सैकड़ों सड़कों का नवीनीकरण अधर में लटका हुआ है। उन्होंने कहा कि पांच किलोमीटर तक सड़क का डामरीकरण हो भी जाता है, तो उससे आगे का हिस्सा खराब हो जाता है। ऐसे में सड़क कार्य को एक बार में पूरा किया जाना चाहिए।
उत्तराखंड में खस्ताहाल सड़कों के नवीनीकरण और पुनर्निर्माण का काम अटका हुआ है। लोक निर्माण विभाग (PWD) के अधिकारियों का कहना है कि राज्य के सीमित वित्तीय संसाधनों को देखते हुए पांच किलोमीटर से अधिक लंबाई वाले मोटर मार्गों को दूसरे चरण की स्वीकृति के लिए प्रस्तावित नहीं किया जा रहा है। लोक निर्माण विभाग के प्रमुख अभियंता राजेश शर्मा ने कहा कि विभाग के पास बजट सीमित है। अगर किसी एक सड़क पर अधिक धन खर्च किया जाएगा तो अन्य सड़कों के काम अधर में लटक जाएंगे। यही कारण है कि शासन की ओर से पांच किलोमीटर तक की सड़कों के नवीनीकरण और पुनर्निर्माण को ही प्राथमिकता दी जा रही है।
दूधली-मोथरोवाला मार्ग भी बदहाल
दूधली क्षेत्र के कई गांवों को देहरादून शहर से जोड़ने वाला दूधली-मोथरोवाला मार्ग भी बदहाल है। मार्ग में नौंका और फायरिंग रेंज के पास बने गड्ढों से हादसों का खतरा बना है। स्थानीय लोगों का कहना हैं कि ऋषिकेश, हरिद्वार से देहरादून के लिए यह वैकल्पिक मार्ग है, लेकिन वर्षों से विभाग ने इस मार्ग की सुध नहीं ली।