उत्तराखंड शिक्षा विभाग में 40 शिक्षक और कर्मचारी लंबे समय से लापता चल रहे हैं, जिसके चलते विभाग को कड़े कदम उठाने पड़े हैं। शिक्षा महानिदेशालय ने इन अनुपस्थित कर्मियों के खिलाफ अंतिम कार्रवाई का निर्देश दिया है और एक सप्ताह के भीतर कार्रवाई की रिपोर्ट तलब की है।
किन जिलों से लापता हैं शिक्षक और कर्मचारी?
महानिदेशालय की रिपोर्ट के अनुसार, प्रारंभिक शिक्षा विभाग के अंतर्गत:
. 20 शिक्षक चमोली, पौड़ी, टिहरी, देहरादून, हरिद्वार, उत्तरकाशी, चंपावत, पिथौरागढ़, अल्मोड़ा और ऊधमसिंह नगर जिलों से अनुपस्थित हैं।
. 13 मिनिस्ट्रीयल कर्मचारी रुद्रप्रयाग, टिहरी, बागेश्वर, अल्मोड़ा, पिथौरागढ़ और नैनीताल जिलों से गायब हैं।
. 7 चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी देहरादून, अल्मोड़ा, बागेश्वर, पिथौरागढ़ और ऊधमसिंह नगर जिलों से अनुपस्थित चल रहे हैं।
महानिदेशालय ने स्पष्ट किया है कि एक सप्ताह के भीतर सभी अनुपस्थित कर्मियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करते हुए इसकी जानकारी महानिदेशालय को उपलब्ध कराई जाए।
भर्ती प्रक्रिया पर असर: तीन हजार पद खाली
लंबे समय से अनुपस्थित शिक्षकों और कर्मचारियों के कारण:
. छात्र-छात्राओं की पढ़ाई प्रभावित हो रही है।
. इन रिक्त पदों पर नई भर्ती प्रक्रिया शुरू नहीं हो पा रही है, जिससे विभाग में तीन हजार से अधिक पदों पर भर्ती अटकी पड़ी है।
900 शिक्षक अब भी मूल तैनाती पर नहीं गए
शिक्षा विभाग में 900 से अधिक शिक्षक और कर्मचारी अन्यत्र संबद्ध हैं। हालांकि, हाल ही में जारी निर्देशों के अनुसार, गंभीर बीमारियों और विद्या समीक्षा केंद्र से जुड़े शिक्षकों को छोड़कर अन्य सभी को मूल तैनाती पर लौटने के निर्देश दिए गए थे। लेकिन, शिक्षा महानिदेशालय के सख्त निर्देशों के बावजूद कई शिक्षक और कर्मचारी अब भी अपनी मूल तैनाती पर नहीं पहुंचे हैं।
कड़े कदम उठाने की तैयारी
शिक्षा विभाग अब अनुपस्थित शिक्षकों और कर्मचारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की तैयारी कर रहा है। यदि ये कर्मचारी एक सप्ताह के भीतर अपनी उपस्थिति दर्ज नहीं करते हैं, तो उनके खिलाफ वेतन रोकने से लेकर बर्खास्तगी तक की कार्रवाई हो सकती है।
इस स्थिति से न केवल शिक्षा विभाग के प्रशासनिक कामकाज पर असर पड़ रहा है, बल्कि राज्य के हजारों विद्यार्थियों के भविष्य पर भी इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।